Biodata Maker

सनावदिया गांव में बहाई धर्म के युगल अवतार बाब और बहाउल्लाह का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया

WD Feature Desk
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025 (09:54 IST)
22 अक्टूबर 2025 को बहाई सेविका डॉ श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन के निवास गिरिदर्शन पर जिम्मी और जनक मगिलिगन फ़ाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने बहाई धर्म के युगल अवतार बाब और बहाउल्लाह का जन्मोत्सव देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डायरेक्टर प्रो. कन्हैया आहूजा के मुख्य आतिथ्य में मनाया। 
 
कार्यक्रम का आरम्भ ईश्वर कि आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जनक पलटा मगिलिगन की बहाई प्रार्थना से शुरू हुआ। जनक दीदी ने सभी अतिथियों और उपस्थित लोगों हार्दिक बधाई देकर स्वागत किया और बताया कि उनका जीवन ईश्वर को धन्यवाद के लिए, जिम्मी मगिलिगन के साथ विवाह समाज सेवा और पर्यावरण के लिए समर्पित है। जिम्मी जी ने भारत में बहाई सेवा के लिए मातृभूमि छोड़ दी क्योंकि वे बाब और बहाउल्लाह से प्रेरित थे।
 
डॉ. नीरजा पौराणिक ने संस्कृत में मंत्रोच्चारण किया। कार्यकम के मुख्य वक्ता आईआईटी बीएचयू और हैदराबाद ट्रिपल आईआईटी के सेवानिवृत्त डायरेक्टर प्रो. राजीव संगल ने बहाई युगल अवतार बाब और बहाउल्लाह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया सदियों से, दुनिया के लोग ईश्वर द्वारा वादा किए गए दिव्य युग की प्रतीक्षा कर रहे हैं, एक ऐसा युग जब पृथ्वी पर शांति और सद्भाव स्थापित होगा। बहाई अनुयायियों का मानना है कि उनके जुड़वां अवतार, दिव्यात्मा बाब और बहाउल्लाह, वादा किए गए दिव्य युग की भविष्यवाणी को पूरा करते हैं।

युगल अवतारों की अभिव्यक्ति, बहाई आस्था के लिए एक मौलिक अवधारणा है, क्योंकि दिव्यात्मा बाब और बहाउल्लाह की दिव्यता अटूट रूप से जुड़ी हुई है: दिव्यात्मा बाब का मिशन एक ऐसी अभिव्यक्ति का मार्ग प्रशस्त करना था 'जिन्हे ईश्वर प्रकट करेंगे', जो अवतरित बहाउल्लाह के रूप में प्रकट हुए। इस कारण से, बाब और बहाउल्लाह के दोनों अवतारों को बहाई धर्म में केंद्रीय शख्सियतों के रूप में सम्मानित किया जाता है, जो मिलकर दुनिया के सभी धर्मों के बीच वादा की गई शांति और न्याय प्रस्थापित करेंगे।
 
1844 में अपनी घोषणा के बाद, बाबी धर्म 1850 तक, इसके संस्थापक महात्मा बाब की शहादत तक, बड़े पैमाने पर सक्रिय रहा। यद्यपि दिव्यात्मा बाब ईश्वर के अवतार और एक महान धर्म के संस्थापक थे, फिर भी वे स्वयं को अग्रदूत मानते थे और अपने अनुयायियों को उत्साहपूर्वक दिव्य अवतार 'जिन्हे ईश्वर प्रकट करेंगे' के रहस्योद्घाटन की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। अपने-अपने मिशन के बाद एक ही युग में दो अद्वितीय अवतारों का आविर्भाव हुआ।
 
दिव्यात्मा बाब के सबसे समर्पित अनुयायियों में से एक मिर्ज़ा हुसैन-अली थे, जिन्होंने बाद में बहाउल्लाह की उपाधि धारण की, जिसका अर्थ है 'ईश्वर की महिमा'। 1863 में, बाबी धर्म की स्थापना के उन्नीस साल बाद, बहाउल्लाह ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह प्रतीक्षित अवतार थे, जिनके बारे में बाब ने भविष्यवाणी की थी और जिनके आगमन की भविष्यवाणी पिछले युगों में सभी दिव्य अवतारों ने की थी।

कम उम्र से ही बहाउल्लाह दुनिया की पीड़ा और क्रूरता से व्यथित थे और अपना समय पीड़ितों, बीमारों और गरीबों की मदद करने में बिताते थे। दिव्यात्मा बाब को ईश्वरीय दूत मानने के बाद उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली गई और उन्हें चालीस वर्ष का कारावास और निर्वासन भुगतना पड़ा। 
 
हालांकि, बाब की शहादत और उनके हजारों अनुयायियों की नृशंस हत्या के बाद, बहाउल्लाह के दिव्य रहस्योद्घाटन को उनके निर्वासन और कारावास के दौरान सील कर दिया गया था जब हजारों बाबी अनुयायी और अन्य फारसी लोग उनके पास आने लगे। उनके विस्मयकारी व्यक्तित्व और अद्भुत अंतर्दृष्टि के साथ-साथ आध्यात्मिक मामलों पर उनके मर्मज्ञ रहस्योद्घाटन को समाज में व्यापक रूप से जाना और सराहा गया।

बहाउल्लाह कहते हैं, 'ईश्वर के उस एक सत्य के आत्म-प्रकटीकरण का उद्देश्य सभी मानवजाति को सत्य और ईमानदारी, पवित्रता और विश्वासयोग्यता, ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण और अनासक्ति, सहनशीलता और दयालुता, न्याय और ज्ञान के लिए बुलाना है। इसका उद्देश्य प्रत्येक मनुष्य को सदाचार का वस्त्र पहनाना और उसे पवित्र तथा श्रेष्ठ कर्मों के आभूषण से अलंकृत करना है।' 
 
सभी धर्मों की एकता, मानवता की एकता, शांति, लैंगिक समानता, विज्ञान और धर्म के बीच सामंजस्य, सभी पूर्वाग्रहों से मुक्ति, सार्वभौमिक शिक्षा और, पुरोहित रहित धर्म के संदेशवाहक के रूप में सराहा। 
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. कन्हैया आहूजा निदेशक स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स डीएवीवी ने बहाई धर्म के युगल अवतार बाब और बहाउल्लाह के जन्मोत्सव अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं, जिन्होंने ईश्वर की एकता और मानवता की एकता को पुनर्स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इस युग को जिन शिक्षाओं की आवश्यकता है, वे मानवता के हित में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे यहाँ आकर धन्य हैं।
 
डॉ. उषा मलिक, सुप्रसिद्ध न्यूरो फिजिशियन, डॉक्टर अपूर्व पौराणिक, डॉ. रवि वर्मा (सर्जन), प्रो. आशीष दुबे, श्रीमती निशा संगल, प्रो. ऋषिना नातू, पुष्पा जैन, चेरी और सनमान, नीलेश चौहान, श्री इंदर भंडारी, पटेल मास्टर जी इंदौर और गांव से कई लोग मौजूद थे। श्रीमती अनुराधा दुबे, ट्रस्टी जिम्मी और जनक मगिलिगन फ़ाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट ने सभी को हृदय से धन्यवाद दिया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

भारत विरोधी गतिविधियों का अड्‍डा बना बांग्लादेश, अब हाफिज सईद का करीबी इब्तिसाम ढाका पहुंचा

Nitish Kumar हैं BJP के Puppet, Tejashwi Yadav के बयान से NDA पर क्यों बढ़ा दबाव

Gold : 4,100 रुपए सस्ता हुआ सोना, चांदी में 6,250 रुपए की गिरावट, जानिए क्यों गिर रहे हैं दाम

Tej Pratap Yadav : मेरे ऊपर लालू यादव की छत्रछाया नहीं, तेजस्वी और राहुल गांधी को लेकर क्या बोले तेजप्रताप यादव

SIR के दूसरे चरण के एलान पर भड़का विपक्ष, चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु के साथ मध्यप्रदेश में भी विरोध

सभी देखें

नवीनतम

Cyclone Montha से फसलें हुईं तबाह, कई पेड़ उखड़े, कई इलाकों में बिजली गुल, जानिए क्या हैं हालात

Israel-Hamas Ceasefire: ट्रंप के गाजा पीस प्लान को बड़ा झटका, बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पर दिया 'पॉवरफुल अटैक' का आदेश

Bihar Assembly Elections 2025 : तो मुझे करें गिरफ्तार, बोले प्रशांत किशोर, SIR को लेकर चुनाव आयोग पर साधा निशाना

अयोध्या का विकास भव्यता, आस्था और आधुनिकता का संतुलित मॉडल बने

भारत विरोधी गतिविधियों का अड्‍डा बना बांग्लादेश, अब हाफिज सईद का करीबी इब्तिसाम ढाका पहुंचा

अगला लेख