इस्लाम में हराम है हलाला...

Webdunia
बुधवार, 11 अप्रैल 2018 (20:31 IST)
इस्लामी विद्वान सैयद अब्दुल्लाह तारिक ने कहा कि वर्तमान में धर्म की मूल शिक्षा नहीं दी जा रही है। इस्लाम में जिसे हलाला कहा जाता है, असल में वह इस्लाम में हराम है। यह सब कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं।


निनाद और अदबी कुनबा द्वारा आयोजित इंदौर रिलीजन कॉन्‍क्‍लेव के 'हमसाज' कार्यक्रम के रूबरू सत्र में सैयद ने कहा कि कुरान कहता है कि तुब सब एक मां-बाप की संतान हो, वेद भी यही कहते हैं। धर्मग्रंथ तो यही कहते हैं कि तुम्हारे साथ कोई बुराई करे तो उसके साथ तुम भलाई करो और सबको अपना भाई मानो। ऐसा करेंगे तो कोई समस्या ही पैदा नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि जेहाद शब्द के अर्थ को लेकर भी भ्रांति है। दरअसल, जेहाद का अर्थ अच्छाई के लिए लगातार प्रयास करना है। धर्म की आड़ में जो आतंकवाद फैलाया जाता है, वह सबसे खतरनाक आतंकवाद है। इस्लाम फैलाने के लिए भी जंग की इजाजत नहीं है। हालांकि कुछ मामलों में सशस्त्र जेहाद की भी इजाजत है। आत्मरक्षा, जुल्म के खिलाफ और किसी संधि का उल्लंघन होता है तो वहां सशस्त्र जेहाद किया जा सकता है।

तारिक ने कहा कि कुरान की आयतों को भी गलत तरीके से पेश किया गया है। आयतें तो पूरी दुनिया में फैली हुई हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हमने उन आयतों को निकाल दिया है, जो वैश्विक हैं या फिर उनका आधा-अधूरा अर्थ समझाया जाता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के मूल ग्रंथ वेद हैं, मगर वे सना‍तनियों के घर से बाहर हो गए हैं। मैंने वेदों का अध्ययन किया, ऐसे में मैं सनातन धर्मी हूं या आप? हिन्दुस्तानी होने के नाते मैं भी एक हिन्दू हूं।
संत भय्यू महाराज ने कहा कि लोग वही सुनना चाहते हैं जो वे चाहते हैं, जबकि वे यह नहीं सुनना चाहते कि उनके लिए क्या अच्छा है। उन्होंने कहा कि गुरुओं की संख्या ज्यादा हो गई है और शिष्य घट गए हैं, क्योंकि ज्ञान बांटना आसान हो गया है और उसे आत्मसात करना मुश्किल। आजकल के बुजुर्ग भी बच्चों को तो समझाना चाहते हैं, लेकिन खुद नहीं समझना चाहते। कृष्ण ने सुदामा को समझा और राम ने केवट को, लेकिन आज का मनुष्य सत्य से दूर भागता है। हम भी समझाना तो चाहते हैं, लेकिन खुद समझना नहीं चाहते।

भय्यू महाराज ने कहा कि धर्म जीवन का मूल आधार है। प्रत्येक जीवमात्र का अपना अलग धर्म है। किसान का अपना अलग धर्म है तो बैल का अपना अलग धर्म। चिड़िया अपनी चोंच से अपने बच्चे को दाना खिलाती है तो वह उसका धर्म है। दरअसल, जिन्हें हम आज धर्म कहते हैं, वे संप्रदाय हैं।

प्रबंधन गुरु एन. रघुरमन ने कहा कि युवा पीढ़ी आपको करते हुए देखना चाहती है, सीखना चाहती है। आप जो करते हैं, वही युवा करते हैं, जबकि हकीकत में ऐसा हो नहीं रहा है। कोई भी धर्म पाखंड और ढकोसला नहीं चाहता। व्याख्यान से कुछ भी नहीं होता, हमें कुछ करके दिखाना होगा। दरअसल, हम मंच पर कुछ और होते हैं और हकीकत में कुछ और। रघुरमन ने कहानियों और उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात को बहुत ही अच्छे से समझाते हुए कहा कि बांटकर लेने की प्रक्रिया घर से सीखी जाती है। आज हम सारे बच्चों को यही सिखा रहे हैं कि उसे फलां नौकरी करना है, जबकि उसे उद्यमी भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय के साथ धर्म अपने मूल से भटक गया है, उसे सुधारने की जरूरत है।

कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका निभाते हुए 'वेबदुनिया' के संपादक जयदीप कर्णिक ने अच्छे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि क्या भारत हिन्दू राष्ट्र बन गया तो सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी या फिर देश से गरीबी और भुखमरी खत्म हो जाएगी? उन्होंने सवाल किया धर्म और ईश्वर हमारी ताकत होनी चाहिए, लेकिन हमें डराते क्यों हैं? कर्णिक ने विद्वान वक्ताओं से धर्म, युवा पीढ़ी और आडंबरों से जुड़े सवाल भी उठाए।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

EC से सवाल, 190 सीटों का वोटिंग पर्सेंट आने में इतना समय क्यों लगा?

KCR पर चुनाव आयोग का एक्शन, 48 घंटे तक प्रचार पर लगाया बैन, कांग्रेस के खिलाफ की थी टिप्पणी

उज्जैन के दंडी आश्रम में आचार्य और सेवादार ने 19 बच्चों से किया यौन कुकर्म, FIR दर्ज

2500 वीडियो क्लिप, 17 साल पुराना ड्राइवर, कर्नाटक के इस कांड को क्‍यों कहा जा रहा भारत का सबसे बड़ा sex scandal?

प्रज्वल रेवन्ना sex scandal को लेकर राहुल ने बोला पीएम मोदी पर तीखा हमला

19 साल बाद संजय निरुपम की घर वापसी, शिंदे की शिवसेना में होंगे शामिल

Lok Sabha Elections 2024 : बनासकांठा में बोले PM मोदी, कांग्रेस लिखकर दे धर्म के आधार पर नहीं देगी आरक्षण

KCR पर चुनाव आयोग का एक्शन, 48 घंटे तक प्रचार पर लगाया बैन, कांग्रेस के खिलाफ की थी टिप्पणी

UP : राजगुरु, बिस्मिल, भगत सिंह, देश के शहीदों से मुख्तार की तुलना, अफजाल अंसारी का वीडियो वायरल

Supreme Court Updates : सुप्रीम कोर्ट के जज जब सुनाने लगे अपना दर्द - संडे-मंडे तो छोड़िए त्योहारों पर भी चैन नहीं

अगला लेख