जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर नई और पुरानी पीढ़ी ने सीखा प्रकृति से प्यार करना

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पद्मश्री जनक पलटा के आवास और सेंटर जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर साल भर में शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब उनकी सौर ऊर्जा से संचालित अनूठी जीवनशैली को देखने और उनसे सीखने कोई न पहुंचा हो। पिछले दिनों एक ही दिन में छात्रों के दो बड़े समूह ने सेंटर आकर उनके सोलर उपकरणों को देखकर प्रेरणा ग्रहण की। 
 
प्रथम सत्र 12 जनवरी की सुबह आयोजित हुआ जिसमें खण्डवा रोड स्थित जेजे पब्लिक स्कूल के 50 छात्रों और अध्यापकों का समूह पहुंचा। यह समूह  20 सोलर कुकर व अन्य सोलर संचालित घरेलु उपकरणों को देखकर इतना आनंदमग्न हुआ कि उनके चेहरे की खुशी स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

छात्रों के अनुसार उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि प्राकृतिक संसाधनों के सहयोग से जीवन इतना सरल, सुविधाजनक और दिलचस्प हो जाता है।   
 
डॉ. जनक पलटा के साथ प्रशिक्षक नंदा और राजेन्द्र चौहान ने छात्रों और साथ आए शिक्षकों को सोलर उपकरणों में उबलते पानी, प्रेशर कुकर सीटी, सोलर डिश से जला हुआ पेपर आदि दिखाया तो सभी विस्मित हो गए। छात्रों के लिए यह सब चमत्कार जैसा था। अत्यंत उत्साह से सब देखने के बाद उन्होंने यह खुलासा किया कि उन्हें कल्पना भी नहीं थी कि प्रकृति के साथ जीवन को इतनी खबूसूरती से व्यावहारिक रूप में जिया जा सकता है। 
 
उन्होंने माना कि पहली बार उन्होंने इन तकनीकों को देखा है क्योंकि यह न तो उनकी पुस्तकों में हैं, न ही वास्तविक जीवन में कभी देखे हैं। सेंटर के खेत के दौरे के बाद डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने पावरपॉइंट प्रस्तुति दी। 
 
छात्रों ने बताया कि उनमें से ज्यादातर सिमोल क्षेत्र के गांवों से स्कूल आ रहे हैं और यहां आकर उन्होंने बहुत अच्छी तरह से यह समझा है कि वे अपने खेतों में यह सब कर सकते हैं और स्वस्थ जीवन शैली के तरीकों का पालन कर सकते हैं। 
 
कई विद्यार्थियों ने यह अभिलाषा प्रकट की कि वे परीक्षा के बाद यहां आकर गहन प्रशिक्षण लेना चाहते हैं ताकि अपने परिवार और गांवों की सहायता करने के लिए आगे आ सके। छात्र सोलर संबंधी सभी प्रशिक्षण लेने के इच्छुक दिखाई दिए। 
 
जनक दीदी ने विश्वास दिलाया कि यहां उनका हमेशा स्वागत है। यहां हर तरह का सोलर प्रशिक्षण बिना किसी शुल्क के सहर्ष दिया जाता है। 
दूसरे सत्र में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. नम्रता के नेतृत्व में विभिन्न राज्यों से आए 45 व्याख्याताओं ने सेंटर पर अपनी भेंट दी। यह सभी विभिन्न विषयों के शिक्षक हैं और जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में आकर सभी ने हर्षमिश्रित आश्चर्य व्यक्त किया। 
 
उन्होंने बताया कि "पर्यावरण शिक्षा और आपदा प्रबंधन" पर डॉ. पलटा का व्याख्यान सुनने के बाद सभी ने यहां की विजिट की योजना बनाई। 
 
केंद्र के युवा प्रशिक्षु वरुण रहेजा ने उन्हें जनक दीदी के साथ इंटर्नशिप के दौरान सीखे हर अनुभव साझा किए। साथ ही केंद्र में प्रशिक्षण के दौरान वरुण द्वारा तैयार सोलर ड्रायर पर 10 अलग-अलग प्रकार के सोलर ड्राइड फलों और सब्जियां जब उनके हाथ में आई तो उनके अचरज का ठिकाना नहीं रहा। सूखे केले, सेब, आंवला और अन्य खाद्य सामग्री ने उनका मन मोह लिया। वरुण ने पूरी दृढ़ता से कहा कि अगर किसान इन चीजों का व्यापार आरंभ कर दें तो उन्हें आत्महत्या नहीं करनी पड़ेगी। साथ ही ग्रामीण युवाओं को अपने स्वयं के उत्पादों के उद्यमी बनने के लिए और नौकरियों के लिए बड़े शहरों में जाने की ज़रुरत नहीं रहेगी। गांव के बड़ी संख्या में लोग ज ब शहर आते हैं तो वह शहरी दबावों को झेलता है। जिससे समस्या ज्यादा बढ़ रही है।  
 
प्रतिभागियों ने जाना कि सोलर व पवन ऊर्जा का अधिकतम उपयोग, जीरो कचरा जीवन शैली, जैव और स्वस्थ भोजन से आदर्श प्रकृति प्रेमी जीवन जिया जा सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्रकृति का यह सुव्यवस्थित संतुलन आवश्यक है। सभी प्रोफेसर अक्षय ऊर्जा तकनीक और प्राकृतिक जीवनशैली देख अत्यंत प्रभावित हुए। 
प्रोफेसर की इस टीम ने कहा कि जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट सस्टेनेबल डेवलपमेंट एक अद्भुत मॉडल है। हर छात्र और शिक्षक को इसे देखना चाहिए और विश्वविद्यालयों में हर कॉलेज और स्टडी सेंटर को इन प्रणालियों को अपनाना चाहिए और सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सतत विकास के इन मुद्दों पर अपना ऐजेंडा सेट करना चाहिए। डॉ. जनक के साथ बिताए यह पल उनके लिए अविस्मरणीय बन गए। 

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