इंदौर में नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन तक ने पूरे इंदौर का कबाड़ा कर रखा है। एक तरफ ट्रैफिक को लेकर पूरे शहर में अव्यवस्थाएं पसरी हैं, तो वहीं यहां की सड़कें धूल फांक रही हैं। जबकि करीब आठ महीने पहले एबी रोड के बीआरटीएस BRTS कॉरिडोर को तोड़ने का फैसला लिया था, जिस पर बाद में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी मुहर लगा दी थी।
इतने महीनों बाद आज भी बीआरटीएस BRTS जस का तस है और आसपास से वाहन निकल रहे हैं, जिससे बार बार जाम लगता रहता है। सडकों की धूल की वजह से शहर में आंख और नाक की एलर्जी के मरीज बढ़ गए हैं। दमे और सांस की तकलीफों से जूझ रहे लोगों को अलग परेशानी हो रही है। खस्ताहाल सड़कों ने पहले ही वाहन चालकों का दम निकाल रखा है।
चौथी बार टेंडर जारी : बता दें कि राज्य सरकार ने इसी साल फरवरी में इंदौर के बीआरटीएस (BRTS) कॉरिडोर को तोड़ने का फैसला लिया था, जिस पर बाद में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी मुहर लगा दी थी। इसके बाद नगर निगम ने तीन बार टेंडर जारी किए, लेकिन कोई भी ठेकेदार काम करने के लिए आगे नहीं आया। चौथी बार टेंडर जारी करने पर एक फर्म ने रुचि दिखाई। इस टेंडर की शर्त के मुताबिक फर्म को निगम को कोई पैसा नहीं देना है, बल्कि बीआरटीएस से निकलने वाला मलबा और लोहा-लंगड़ काम करने वाली फर्म का होगा।
दावे कुछ, हकीकत कुछ और : इंदौर नगर निगम ने दावा किया था कि कॉरिडोर तोड़ने का काम जल्द शुरू होगा। यह भी कहा गया कि निगम चाहता है कि कॉरिडोर टूटने के साथ ही नया रोड डिवाइडर भी बना दिया जाए, ताकि दुर्घटनाएं न हों। लेकिन इन दावे कुछ और हकीकत कुछ और ही है। आलम यह है कि ठेकेदार एजेंसी को अब तक वर्कआर्डर ही जारी नहीं किया गया है।
अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर ने इस बारे में बताया कि महापौर परिषद (MIC) की बैठक में टेंडर को मंजूरी दी गई थी और इस पर महापौर के हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। फिलहाल, फाइल निगम आयुक्त के पास गई हुई है। वहां से फाइल लौटने के बाद ही ठेकेदार एजेंसी को वर्कआर्डर जारी किया जाएगा।
महापौर के वादे पर कांग्रेस का घेराव : बता दें कि पूरे शहर की सडकों पर कई कई गड्ढे हैं और धूल धक्कड़ से लोगों की हालत खराब है। नगर निगम प्रशासन ने और
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने दिवाली के पहले सभी सड़कों का पैचवर्क करने का दावा किया था। लेकिन यहां भी निगम फैल हो गया। इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष और नगर निगम
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर अपना वादा पूरा न करने का आरोप लगाया है। चौकसे ने कहा कि महापौर की यह घोषणा भी झूठी साबित हुई। उन्होंने याद दिलाया कि निगम परिषद की पिछली बैठक में कांग्रेस पार्षद दल ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसके जवाब में महापौर ने दीवाली तक सभी सड़कों का पैचवर्क पूरा करने का दावा किया था।
कांग्रेस ने दिखाए गड्ढों के वीडियो : चौकसे ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने गड्ढे भरने के नाम पर कुछ दिन अभियान चलाकर काम बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी भी शहर के कई मुख्य मार्ग और कॉलोनियों के अधिकांश रोड गड्ढों से भरे हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस द्वारा हर वार्ड में अभियान चलाकर गड्ढे वाली सड़कों के फोटो और वीडियो बनाए गए हैं ताकि प्रशासन को दिखा सके।
जनता की आंखों में धूल झोंक रहा निगम : नेता प्रतिपक्ष ने मांग की है कि महापौर को शहर की जनता को जवाब देना चाहिए कि आखिर सड़कें गड्ढा मुक्त क्यों नहीं करवा पा रहे हैं। हकीकत यह है कि निगम की गड्ढों से मुक्ति दिलाने में कोई रुचि नहीं है, वह "गड्ढा भरने के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है।"
सड़कों पर धूल का गुबार : इधर दीवाली पर भी इंदौर की सड़कें धूल से सराबोर नजर आई। कलेक्टर की सख्ती और महापौर के वादे के बावजूद सबसे स्वच्छ शहर के सड़कों की सफाई नहीं हो सकी। दरअसल, ये धूल शहर की खस्ताहाल सड़कों की वजह से हो रही है। शहर में इस वजह से आंखों और नाक की एलर्जी के मरीज बढ़ गए हैं। विजय नगर, इंदौर देवास बायपास, खंडवा रोड, एमआर 10 और सुपर कारिडोर जैसे प्रमुख मार्गों पर स्थिति सबसे खराब है, जहां लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। राऊ बायपास से लेकर तीन इमली और देवास नाका में भी खस्ताहाल सड़कों ने लोगों की हालत खराब कर दी है।
काम नहीं आई सख्ती : शहर की सड़कों की दुर्दशा को लेकर कलेक्टर शिवम वर्मा कई बार बैठकें कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने अधिकारियों को एक हफ्ते में सभी ब्लैक स्पाट (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) को सुधारने के सख्त निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने चेतावनी दी थी कि यदि हादसे कम नहीं हुए तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। बीआरटीएस नहीं टूट पाया है न ही ट्रैफिक सुधर रहा है और ही इंदौर के नागरिक को गड्ढों और धूल धक्कड़ से निजात मिल रही है।
8 सितम्बर तक पेश करना था प्लान : बता दें कि इंदौर के बदहाल ट्रैफिक, ई रिक्शा और बीआरटीएस आदि मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने निगम कमिश्नर, कलेक्टर समेत अन्य आला अधिकारियों को तलब कर इंदौर के हालात पर सवाल जवाब किए थे। हाई कोर्ट ने 8 सितंबर तक अधिकारियों को जवाब देने के लिए निर्देश दिए थे, और कहा गया था कि हालात सुधारने के लिए प्लान तैयार करे, लेकिन अब तक न तो इंदौर के हालात सुधरे हैं, और न ही कोई प्लान सामने आया है। इसके उलट ट्रैफिक, बदहाल सडकों और ई रिक्शाओं ने इंदौर के हालात और ज्यादा खराब कर रखे हैं।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल