प्रेरक प्रसंग : हिन्दी और बापू

Webdunia
- मोहनलाल मगो
 
4 फरवरी 1916 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम में वायसराय उपस्थित थे। 
 
दरभंगा के राजा सर रामेश्वरसिंह भी अध्यक्षता में संपन्न समारोह में मालवीयजी के विशेष आग्रह पर बापू ने भाषण दिया। मंच पर मौजूद एनी बेसेंट को गांधीजी की बातें आपत्तिजनक महसूस हुईं और वे मंच से उतरकर चली गईं।
 
गांधीजी ने कहा कि इस पवित्र नगरी में महान विद्यापीठ के प्रांगण में अपने देशवासियों से एक विदेशी भाषा में बोलना शर्म की बात है। समारोह में जिन लोगों ने गांधी से पूर्व अंग्रेजी में अपना भाषण पेश किया था, उन लोगों को शायद ही यह अनुभव था कि विदेशी भाषा में बोलना शर्म सरीखा है। 
 
इस मौके पर आगे गांधीजी ने कहा कि हमारी भाषा पर हमारा ही प्रतिबंध है और इसलिए यदि आप मुझे यह कहें कि हमारी भाषाओं में उत्तम विचार अभिव्यक्त किए ही नहीं जा सकते, तब तो हमारा संसार से उठ जाना अच्छा है। 
 
गांधी ने वहां मौजूद लोगों से सवाल किया कि क्या कोई स्वप्न में भी यह सोच सकता है‍ कि अंग्रेजी भविष्य में किसी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। 
 
श्रोताओं ने कहा- नहीं, नहीं। यह उत्तर सुनकर गांधीजी ने पूछा, फिर राष्ट्र के पैरों में यह बेड़ी क्यों? हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है।
 
साभार - देवपुत्र 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

हिंदी साहित्य के 15 शीर्ष उपन्यास जिन्हें पढ़े बिना अधूरा है किसी पाठक का सफर

स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की मौत कैसे हुई?

अंतरिक्ष में नई कहानी लिखने की तैयारी, शुभ हो शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

बीमारियों से बचना है तो बारिश में रखें ये 10 सावधानियां

मिलिंद सोमन की मां 85 साल की उम्र में कैसे रखती हैं खुद को इतना फिट, जानिए उनके फिटनेस सीक्रेट

अगला लेख