ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच हुआ ब्रेक्जिट व्यापार समझौता, PM जॉनसन ने जताई खुशी

Webdunia
गुरुवार, 24 दिसंबर 2020 (23:41 IST)
लंदन। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच 31 दिसंबर की समय-सीमा की समाप्ति से कुछ दिन पहले ब्रेक्जिट-बाद मुक्त व्यापार करार हो गया है। लंदन में डाउनिंग स्ट्रीट और ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।

इस करार के साथ हजारों पृष्ठों के कानूनी दस्तावेज जुड़े हैं और इसका ब्योरा अगले कुछ दिन में आने की उम्मीद है। इसमें दोनों पक्षों की संसद द्वारा एफटीए का अंतिम अनुमोदन शामिल है।

डाउनिंग स्ट्रीट ने बयान में कहा कि हमने ब्रेक्जिट को पूरा कर लिया है और अब हम स्वतंत्र व्यापार करने वाले देश की तरह अपने पास उपलब्ध अवसरों का पूरा फायदा ले सकते हैं और दुनिया के अन्य भागीदारों के साथ व्यापार करार कर सकते हैं।

डाउनिंग स्ट्रीट ने घोषणा की कि हमने शून्य शुल्क और शून्य कोटा के आधार पर पहले मुक्त व्यापार करार पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। ये दोनों पक्षों द्वारा किया गया सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापार करार है। इसके तहत 2019 में 668 अरब पाउंड का व्यापार आता है।

डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन ने अपने पैसा, सीमा, कानून, व्यापार और मछली पकड़ने के जल क्षेत्र का नियंत्रण फिर हासिल कर लिया है। दूसरी ओर यूरोपीय संघ ने कहा कि यह एक अच्छा करार है, जो एक ‘लंबा और चौड़ा रास्ता दिखाता है। यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने ब्रेसल्स में कहा कि अंतत: हम करार पर पहुंच गए। यह एक निष्पक्ष और जिम्मेदार करार है।

उन्होंने कहा कि ईयू के नियमों और मानदंडों का सम्मान होगा। ब्रिटेन लंबे समय तक हमारा सहयोगी रहा। अब भविष्य की ओर देखने का समय है क्योंकि आर्थिक ब्लॉक के साथ संबंधों में अब ब्रिटेन ‘तीसरा देश’ होगा। अब ब्रिटेन के यूरोपीय संघ की आर्थिक संरचना से बाहर निकलने से पहले इस करार को मंजूर और अनुमोदित करने की ‘दौड़’ होगी।

ब्रिटेन की संसद द्वारा अगले सप्ताह इस करार को अनुमोदित दिए जाने की उम्मीद है। हाउस ऑफ कॉमंस में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पास पर्याप्त बहुमत है, जिससे समय पर करार पर हस्ताक्षर की संभावना है।योरपीय संघ द्वारा नए साल में करार को अनुमोदित किए जाने की उम्मीद है। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा इसपर वीटो अधिकार का इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद नहीं है।

दोनों पक्षों के बीच महीनों तक इस करार को लेकर वार्ता में कई बार तनाव की स्थिति बनी। दोनों पक्षों के बीच मुख्य मुद्दा निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा नियम, भविष्य के विवादों को निपटाने की व्यवस्था और मछली पकड़ने के अधिकार को लेकर था। अंतिम बाधा ब्रिटेन के जल क्षेत्र में यूरोपीय संघ की नावों के जाने के अधिकार को लेकर थी, जिसे बाद में सुलझा लिया गया।(भाषा)

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