वैज्ञानिक पत्रों के प्रकाशन के मामले में चीन दुनिया में सबसे आगे, अमेरिका को चिंतित होना चाहिए?

Webdunia
शुक्रवार, 13 जनवरी 2023 (00:20 IST)
ओहायो। कम से कम एक लिहाज से उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक पत्रों के प्रकाशन के मामले में चीन दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। मेरे शोध से पता चलता है कि चीनी विद्वान अब किसी भी अन्य देश के वैज्ञानिकों की तुलना में वैश्विक स्तर पर शीर्ष एक प्रतिशत सबसे अधिक उद्धृत वैज्ञानिक पत्रों का एक बड़ा हिस्सा प्रकाशित करते हैं।

मैं एक नीति विशेषज्ञ और विश्लेषक हूं जो अध्ययन करता है कि कैसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में सरकारी निवेश सामाजिक कल्याण में सुधार करता है, जबकि किसी देश की वैज्ञानिक शक्ति को मापना कुछ मुश्किल है, मैं तर्क दूंगा कि वैज्ञानिक अनुसंधान पर खर्च की गई राशि, प्रकाशित विद्वानों के पत्रों की संख्या और उन पत्रों की गुणवत्ता इसे परखने के प्रभावी उपाय हैं।

चीन हाल के वर्षों में अपनी विज्ञान क्षमता में भारी सुधार करने वाला एकमात्र देश नहीं है, लेकिन चीन का उदय विशेष रूप से नाटकीय रहा है। इसने अमेरिकी नीति विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों को चिंतित कर दिया है कि कहीं चीन का वैज्ञानिक वर्चस्व वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल न दे।

चीन का हालिया प्रभुत्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष पर रहने के उद्देश्य से चीन की वर्षों की सरकारी नीति का परिणाम है। देश आज जहां है, वहां पहुंचने के लिए स्पष्ट कदम उठा चुका है और अब अमेरिका को सोचना है कि वह वैज्ञानिक रूप से प्रतिस्पर्धी चीन को कैसे जवाब दे।

दशकों में विकास
1977 में चीनी नेता तंग श्याओपिंग ने चार आधुनिकीकरणों की शुरुआत की, जिनमें से एक चीन के विज्ञान क्षेत्र और तकनीकी प्रगति को मजबूत कर रहा था। हाल ही में 2000 तक अमेरिका ने सालाना चीन की तुलना में कई गुना अधिक वैज्ञानिक पेपर तैयार किए।

हालांकि पिछले तीन दशकों में चीन ने घरेलू अनुसंधान क्षमताओं को विकसित करने, छात्रों और शोधकर्ताओं को अध्ययन के लिए विदेश भेजने और चीनी व्यवसायों को उच्च-तकनीकी उत्पादों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए धन का निवेश किया है।

वर्ष 2000 से चीन ने अनुमानत: 52 लाख छात्रों और विद्वानों को विदेश में अध्ययन करने के लिए भेजा। इनमें से अधिकांश ने विज्ञान या इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। इनमें से कई छात्र वहीं रह गए जहां उन्होंने अध्ययन किया था, लेकिन उच्च संसाधनों वाली प्रयोगशालाओं और उच्च तकनीक वाली कंपनियों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में युवक वापस लौट आए।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर खर्च करने के मामले में आज चीन अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। चीनी विश्वविद्यालय अब दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग पीएचडी छात्र तैयार करते हैं और हाल के वर्षों में चीनी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है।

अधिक और बेहतर विज्ञान का निर्माण
इस सारे निवेश और एक बढ़ते सक्षम कार्यबल के दम पर चीन का वैज्ञानिक उत्पादन (जैसा कि कुल प्रकाशित पत्रों की संख्या से मापा जाता है) पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। 2017 में चीनी विद्वानों ने पहली बार अमेरिकी शोधकर्ताओं की तुलना में अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए। हालांकि मात्रा का मतलब गुणवत्ता नहीं है।

कई वर्षों तक पश्चिम में शोधकर्ताओं ने चीनी अनुसंधान को निम्न गुणवत्ता और अक्सर अमेरिका और यूरोप के शोध की नकल के रूप में लिखा। 2000 और 2010 के दशक के दौरान चीन से आने वाले अधिकांश कार्यों को वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से ज्यादा तवज्जो नहीं मिली, लेकिन चीन ने विज्ञान में निवेश करना जारी रखा, मुझे आश्चर्य है कि अनुसंधान की मात्रा में बढ़ोतरी गुणवत्ता में सुधार के साथ आई है।

चीन की वैज्ञानिक शक्ति को मापने के लिए मैंने और मेरे सहयोगियों ने उद्धरणों को देखा। एक उद्धरण तब होता है जब एक अकादमिक पेपर को किसी अन्य पेपर द्वारा संदर्भित किया जाता है या उद्धृत किया जाता है। हमने माना कि किसी पेपर को जितनी बार उद्धृत किया गया है, कार्य की गुणवत्ता उतनी ही अधिक और प्रभावशाली होती है। उस तर्क को देखते हुए शीर्ष एक प्रतिशत सबसे अधिक उद्धृत पत्रों को उच्च गुणवत्ता वाले विज्ञान के ऊपरी सोपान का प्रतिनिधित्व करना चाहिए।

मेरे सहयोगियों और मैंने गणना की कि किसी देश द्वारा प्रकाशित कितने पेपर विज्ञान के शीर्ष एक प्रतिशत में थे, जैसा कि विभिन्न विषयों में उद्धरणों की संख्या से मापा जाता है। 2015 से 2019 तक साल दर साल चलते हुए हमने फिर विभिन्न देशों की तुलना की।

हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 2019 में चीनी लेखकों ने सबसे प्रभावशाली पत्रों का एक बड़ा प्रतिशत प्रकाशित किया, जिसमें चीन ने शीर्ष श्रेणी में 8422 लेख प्रकाशित किए, जबकि अमेरिका में 7959 और यूरोपीय संघ में 6074 लेख थे।

हाल ही के एक उदाहरण में हमने पाया कि 2022 में चीनी शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अमेरिकी शोधकर्ताओं की तुलना में तीन गुना अधिक पेपर प्रकाशित किए, शीर्ष एक प्रतिशत में सबसे अधिक उद्धृत एआई शोध में चीनी पत्रों ने अनुपात के मामले में अमेरिकी पत्रों को पछाड़ दिया। इसी तरह के पैटर्न को चीन के साथ नैनोसाइंस, केमिस्ट्री और ट्रांसपोर्टेशन में शीर्ष एक प्रतिशत सबसे अधिक उद्धृत पत्रों में देखा जा सकता है।

हमारे शोध में यह भी पाया गया कि चीनी शोध आश्चर्यजनक रूप से नवीन और रचनात्मक थे और उन्हें केवल पश्चिमी शोधकर्ताओं की नकल नहीं कहा जा सकता। इसे मापने के लिए हमने वैज्ञानिक पत्रों में संदर्भित विषयों के मिश्रण को देखा।

एक ही पेपर में संदर्भित शोध जितना विविध और विविधतापूर्ण था, हमने काम को उतना ही अंतःविषय और समग्र माना। हमने चीनी शोध को अन्य शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों की तरह ही अभिनव पाया। कुल मिलाकर देखें तो इन उपायों से पता चलता है कि चीन अब न तो नकल करता है और न ही निम्न-गुणवत्ता वाले विज्ञान पत्र तैयार करता है। चीन अब मात्रा और गुणवत्ता के मामले में अमेरिका और यूरोप के बराबर एक वैज्ञानिक शक्ति है।

डर या सहयोग?
वैज्ञानिक क्षमता जटिल रूप से सैन्य और आर्थिक शक्ति दोनों से जुड़ी हुई है। इस संबंध के कारण अमेरिका में राजनेताओं से लेकर नीति विशेषज्ञों तक ने चिंता व्यक्त की है कि चीन का वैज्ञानिक उदय अमेरिका के लिए खतरा है और सरकार ने चीन के विकास को धीमा करने के लिए कदम उठाए हैं।

2022 का हालिया चिप्स और साइंस अधिनियम स्पष्ट रूप से अनुसंधान और विनिर्माण के कुछ क्षेत्रों में चीन के साथ सहयोग को सीमित करता है। अक्टूबर 2022 में बाइडेन प्रशासन ने सैन्य अनुप्रयोगों के साथ प्रमुख प्रौद्योगिकियों तक चीन की पहुंच को सीमित करने के लिए प्रतिबंध लगाए।

मेरे सहित कई विद्वान इन आशंकाओं और नीतिगत प्रतिक्रियाओं को एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के रूप में देखते हैं जो विज्ञान के वैश्विक प्रयास का पूरी तरह से सही आंकलन नहीं करता है। आधुनिक दुनिया में शैक्षणिक अनुसंधान काफी हद तक विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान से संचालित होता है।

परिणाम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं जिन्हें कोई भी पढ़ सकता है। विज्ञान भी पहले से अधिक अंतरराष्ट्रीय और सहयोगी होता जा रहा है, दुनियाभर के शोधकर्ता अपने क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

कैंसर, कोविड-19 और कृषि पर हालिया सहयोगात्मक शोध ऐसे कई उदाहरणों में से कुछ हैं। मेरे अपने काम ने यह भी दिखाया है कि जब चीन और अमेरिका के शोधकर्ता सहयोग करते हैं, तो वे अकेले किसी एक की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले विज्ञान पत्र तैयार करते हैं।

चीन शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल हो गया है और सत्ता के बदलाव पर कुछ चिंताएं मेरे विचार से उचित हैं, लेकिन चीन के वैज्ञानिक उदय से अमेरिका को भी फायदा हो सकता है। ग्रह के सामने मौजूद कई वैश्विक मुद्दों के साथ (जैसे उनमें से एक जलवायु परिवर्तन) इस नई स्थिति को न केवल एक खतरे के रूप में, बल्कि एक अवसर के रूप में देखने में समझदारी हो सकती है।
Edited By : Chetan Gour (द कन्वरसेशन)

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