एससीओ सम्मेलन में मोदी ने दिया SECURE मंत्र, पड़ोसियों से बढ़ाना चाहते हैं संपर्क

Webdunia
रविवार, 10 जून 2018 (11:27 IST)
चिंगदाओ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पड़ोसी देशों और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत आने वाले क्षेत्रों के बीच बेहतर संपर्क (कनेक्टिविटी) होने को भारत की प्राथमिकता बताया। उन्होंने इस शिखर सम्मेलन के नतीजों पर पूर्ण सहयोग देने की भारत की प्रतिबद्धता को भी जाहिर किया। 
 
एससीओ शिखर सम्मेलन के सीमित सत्र के दौरान मोदी ने 'सिक्योर' की अवधारणा को भी रखा। इसमें एस से आशय नागरिकों के लिए सुरक्षा, ई से आर्थिक विकास, सी से क्षेत्र में संपर्क (कनेक्टिविटी), यू से एकता, आर से संप्रभुता और अखंडता का सम्मान और ई से पर्यावरण सुरक्षा है। 
 
मोदी ने कहा, 'हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गए है जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क भूगोल की परिभाषा बदल रहा है। इसलिए हमारे पड़ोसियों और एससीओ क्षेत्र में संपर्क हमारी प्राथमिकता है।'
 
भारत और पाकिस्तान के इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं। इस संगठन में चीन और रूस का दबदबा है। इस संगठन को नाटो के समकक्ष माना जा रहा है। 
 
मोदी ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन का जो भी सफल निष्कर्ष होगा, भारत उसके लिए अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में केवल छह प्रतिशत एससीओ के सदस्य देशों से आते हैं और इसे आसानी से दोगुना किया जा सकता है। 
 
उन्होंने कहा कि हमारी साझा संस्कृतियों के बारे में जागरुकता फैलाकर हम इसे (पर्यटकों की संख्या) आसानी से बढ़ा सकते हैं। हम भारत में एक एससीओ फूड फेस्टिवल और बौद्ध महोत्सव का आयोजन करेंगे।
 
अफगानिस्तान को आतंकवाद के प्रभावों का दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में शांति के लिए जो साहसिक कदम उठाए हैं, क्षेत्र में सभी लोग इसका सम्मान करेंगे। उन्होंने इसी क्रम में ईद के मौके पर अफगानी नेता द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा का भी उल्लेख किया। 
 
एससीओ में अभी आठ सदस्य देश है जो दुनिया की करीब 42% आबादी और वैश्विक जीडीपी के 20% का प्रतिनिधित्व करता है। 
 
मोदी के अलावा इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन , ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन भी शामिल हुए हैं। 
 
वर्ष 2001 में स्थापित इस संगठन के भारत के अलावा रूस, चीन, किर्गीज गणराज्य, कजाकिस्तान , ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान सदस्य हैं। (भाषा) 
 

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