18 सालों में मांबा और कोबरा जैसे सांपों से 800 बार डसवाया, सुपर एंटीबॉडी से तैयार हो रही है जहर की दवा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 5 मई 2025 (16:19 IST)
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे व्यक्ति के रक्त का उपयोग करके नयी सर्प विषरोधी दवा तैयार की है, जिसने 18 वर्षों में जानबूझकर 800 से अधिक बार अपने शरीर में विभिन्न प्रकार का विष ग्रहण किया ताकि सर्पदंश के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यक्ति के रक्त से प्राप्त ‘सुपर एंटीबॉडी’ ने मांबा और कोबरा सहित सांपों की 19 विभिन्न प्रजातियों के विष में मौजूद न्यूरोटॉक्सिन से होने वाले नुकसान से बचाया।
 
नया अध्ययन विषरोधी उत्पादन में नए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अधिकांश वर्तमान तकनीकें एक शताब्दी से भी अधिक पुरानी हैं और इनमें घोड़ों तथा अन्य जानवरों में विष का इंजेक्शन लगाकर उनके रक्त से एंटीबॉडी एकत्रित की जाती हैं।
 
फिर भी, नए उपचार सर्पदंश की उस वैश्विक समस्या से निपटने की चुनौती का केवल एक हिस्सा हैं, जिसके कारण हर साल दुनिया भर में हजारों लोगों की मौत हो जाती है।
 
यह नया विषरोधी कैसे बनाया गया?
टिम फ्रिडे खुद को ‘‘विष विशेषज्ञ’’ बताते हैं। उन्होंने 18 साल की अवधि में जानबूझकर कई सांपों के जहर का विष अपने शरीर में लिया ताकि प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। यह एक जोखिम भरा अभ्यास है, जिसकी हम अनुशंसा नहीं करते हैं। फ्रिडे के लिए यह सब कुछ खासा जोखिम भरा भी रहा है।
 
वैज्ञानिकों ने फ्रिडे के रक्त का एक छोटा सा नमूना लिया और विष के असर को खत्म करने के लिए उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा विकसित एंटीबॉडी को अलग कर लिया।
ALSO READ: स्पाइन सर्जरी से जुड़ी भ्रांतियों से बचें, आधुनिक तकनीक से हो सकती है बेहतर रिकवरी
इसके बाद, उन्होंने यह निर्धारित किया कि बेहद विषैले सांपों के जहर में पाए जाने वाले दो महत्वपूर्ण प्रकार के न्यूरोटॉक्सिन के विरुद्ध कौन से एंटीबॉडी व्यापक रूप से प्रभावी थे।
 
अगला कदम फ्रिडे की बी-कोशिकाओं (एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका) से डीएनए को अनुक्रमित करना था, जो उन दो एंटीबॉडी का उत्पादन करती थी। इसके बाद जिम्मेदार जीन को एक प्रकार के वायरस में डाला गया जिसे ‘बैक्टीरियोफेज’ कहा जाता है।
 
आमतौर पर विषरोधी कैसे बनाया जाता है?
 
विषरोधी वर्तमान में सांप के काटने के लिए उपलब्ध एकमात्र विशिष्ट उपचार है। आमतौर पर पहले विष को एकत्रित करके विषरोधी तैयार किया जाता है, फिर एक पालतू पशु (जैसे कि घोड़ा) को उस विष की छोटी लेकिन धीर-धीरे बढ़ी हुई खुराक का नियमित इंजेक्शन देकर एंटीबॉडी विकसित की जाती हैं।
 
घोड़े का खून निकाला जाता है और उसके एंटीबॉडी को संसाधित किया जाता है। फिर सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को एंटीबॉडी का इंजेक्शन लगाया जाता है, जहां वह विष को असर करने से रोकता है।
 
पारंपरिक विषरोधी की अपनी समस्याएं हैं। ये एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया पैदा कर सकते हैं। विभिन्न क्षेत्रों के सांपों में विष की संरचना में अंतर के कारण, या सांप के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में, इनकी प्रभावशीलता भी सीमित हो सकती है।
 
‘ब्रॉड-स्पेक्ट्रम’ या ‘पॉलीवेलेंट’ विषरोधी को सांपों की विभिन्न प्रजातियों के जहर के मिश्रण का इंजेक्शन देकर बनाया जाता है। हालांकि, प्रति खुराक में एंटीबॉडी की बढ़ी हुई मात्रा प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के जोखिम को बढ़ा सकती है।
 
मिश्रित विषरोधी के साथ एक और चुनौती यह है कि कुछ जहर जो मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं, वे अन्य समान रूप से खतरनाक विषों के खिलाफ एंटीबॉडी के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। (द कन्वरसेशन) भाषा Edited by: Sudhir Sharma

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

देश जैसा चाहता है, वैसा होकर रहेगा, राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को खुली चेतावनी

कांग्रेस ने कई गलतियां कीं... राहुल गांधी ने क्यों कहा ऐसा?

पश्चिम बंगाल में कैसे चुनौती बन रहा है कट्टरपंथ, राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद दंगों को लेकर गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, क्या दिए सुझाव

Pakistan Ranger : गिरफ्त में पाकिस्तानी रेंजर, क्या था मकसद, BSF को मिले नए ऑर्डर

Pahalgam Attack के बाद अब तक 39 लोग गिरफ्तार, असम में कर रहे थे पाकिस्तान का समर्थन

सभी देखें

नवीनतम

भारत के रुख से घबराया पाकिस्तान, कर रहा है कायराना हरकत, अलर्ट एजेंसियों के आगे हुआ पस्त

Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर अगले सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ करेगी सुनवाई, 15 मई को होगा विचार

18 सालों में मांबा और कोबरा जैसे सांपों से 800 बार डसवाया, सुपर एंटीबॉडी से तैयार हो रही है जहर की दवा

इस गांव में आजादी के बाद पहली बार किसी स्‍टूडेंट ने पास की हाईस्कूल की परीक्षा

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ी याचिका का निपटारा, हाईकोर्ट ने याची को भी दी वैकल्पिक उपायों की छूट

अगला लेख