UP : OBC आरक्षण के बिना नगर निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

Webdunia
बुधवार, 4 जनवरी 2023 (17:02 IST)
नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश नगर निकाय चुनाव OBC आरक्षण के बिना कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को निकाय चुनाव 3 महीने के लिए टालने की अनुमति भी दे दी है।  इस 3 महीने के समय में पिछड़ा वर्ग के लिए बनाया गया आयोग अपनी रिपोर्ट फाइल करेगा। इस समय में कोई फैसला नहीं ले सकेगा। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्थानीय निकायों का प्रशासन बाधित न हो, उप्र सरकार कार्यकाल समाप्त होने के बाद अधिकारों को प्रत्यायोजित करने के लिए स्वतंत्र होगी। 
 
सरकार द्वारा नियुक्त पैनल को 3 महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा। 
 
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में उत्तरप्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था।

उत्तरप्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आरक्षण बिना चुनाव कराने के आदेश पर रोक की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।  सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने योगी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। 2 जनवरी को हुई सुनवाई में मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार का पक्ष रखा था।

मेहता ने कोर्ट को बताया था कि सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है। स्थानीय निकाय चुनाव आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराया जाना चाहिए।

क्या था आदेश में : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तरप्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था।
 
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग को 31 मार्च, 2023 तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा।
 
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद स्थानीय निकाय मामलों के संचालन के लिए प्रशासकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी। उसने हालांकि कहा कि प्रशासकों के पास महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेने की शक्तियां नहीं होंगी।
 
शीर्ष अदालत इससे पहले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर उसकी मसौदा अधिसूचना को रद्द करने और उसे अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का निर्देश देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी।
 
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पांच दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए आदेश दिया था कि राज्य सरकार चुनावों को 'तत्काल' अधिसूचित करे क्योंकि कई नगरपालिकाओं का कार्यकाल 31 जनवरी तक समाप्त हो जाएगा। अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग को मसौदा अधिसूचना में ओबीसी की सीटें सामान्य वर्ग को स्थानांतरित करने के बाद 31 जनवरी तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

LOC के ऊंचाई वाले दर्रों पर बिछी बर्फ की चादर, सेना का बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू

मणिपुर पर कांग्रेस का नड्डा पर पलटवार, कहा पत्र झूठ से भरा हुआ

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर महाविकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन में होगा बिखराव?

अडाणी मामले का क्या होगा भारत से संबंधों पर असर, अमेरिका ने जारी किया बयान

कनाडा का बड़ा बयान, देश के आपराधिक मामले में पीएम मोदी का हाथ नहीं

अगला लेख