7 दिनों तक गुंडीचा मंदिर में रहेंगे जगन्नाथ जी, 10 जुलाई एकादशी को आएंगे वापस, जानिए 7 दिवस की दिनचर्या

Webdunia
शनिवार, 2 जुलाई 2022 (12:04 IST)
Jagannath Puri Rath Yatra 2022 : ओड़ीसा के पुरी में आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालकर उसी दिन 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का रख खींचकर ले जाया जाता है। वहां पर भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। उसके बाद दशमी के दिन लौटते हैं और एकादशी के दिन वे पुन: अपने मंदिर में अपने शाही स्वरूप में विराजमान होते हैं। इन 7 दिनों में क्या होता है जानिए।
 
1. गुंडीचा मार्जन परंपरा : प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथ पहुंचने के पहले गुंडीचा मंदिर में गुंडीचा मार्जन परंपरा निभाई जाती है। गुंडीचा मार्जन परंपरा के अनुसार रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं के द्वारा गुंडीचा मंदिर को शुद्ध जल से धोकर साफ किया जाता है। 
 
2. स्नान : स्थानीय लोग गुंडीचा को प्रभु की मौसी मांगते हैं। 7 दिन गुंडिचा मंदिर में ही रहते हैं प्रभु। जब जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर में पहुंचती है तब भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र जी को विधिपूर्वक स्नान कराया जाता है और उन्हें पवित्र वस्त्र पहनाए जाते हैं।
 
3. भोग : स्नान आदि के बाद प्रभु की पूजा और आरती की जाती है और फिर उन्हें उनका भोग अर्पित किया जाता है।
Jagannath Rath Yatra
4. गुंडीचा के मंदिर में भगवान : यात्रा के दूसरे दिन रथ पर रखी हुई भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियों को विधि-विधान के साथ उतारा जाता है और गुंडीचा के मंदिर में विराजमान किया जाता है।
 
4. हेरा पंचमी : यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी का महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को खोजने आती हैं, जो अपना मंदिर छोड़कर यात्रा में निकल गए हैं।
 
5. आड़प-दर्शन : गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को ‘आड़प-दर्शन’ कहा जाता है। गुंडीचा मंदिर को 'गुंडीचा बाड़ी' भी कहते हैं। यहीं पर देवताओं के इंजीनियर माने जाने वाले विश्वकर्मा जी ने भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमा का निर्माण किया था। गुंडिचा भगवान की भक्त थीं। मान्यता है कि भक्ति का सम्मान करते हुए भगवान हर साल उनसे मिलने जाते हैं।
 
6. बहुड़ा यात्रा : आषाढ़ माह की दशमी को सभी रथ पुन: मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं।
 
7. पुन: भगवान विराजमान होते हैं अपने मंदिर में : नौवें दिन रथयात्रा पुन: भगवान के धाम आ जाती है। जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचने के बाद भी सभी प्रतिमाएं रथ में ही रहती हैं। देवी-देवताओं के लिए मंदिर के द्वार अगले दिन एकादशी को खोले जाते हैं, तब विधिवत स्नान करवा कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देव विग्रहों को पुनः प्रतिष्ठित किया जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के 12 पावरफुल नाम

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त

32 प्रकार के द्वार, हर दरवाजा देता है अलग प्रभाव, जानें आपके घर का द्वार क्या कहता है

Char Dham Yatra : छोटा चार धाम की यात्रा से होती है 1 धाम की यात्रा पूर्ण, जानें बड़ा 4 धाम क्या है?

देवी मातंगी की स्तुति आरती

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

Panch Kedar Yatra: ये हैं दुनिया के पाँच सबसे ऊँचे शिव मंदिर

अगला लेख