Jain Puja : जैन पद्धति से अक्षय-तृतीया पर्व पर कैसे करें पूजन, जानें पूजा विधि

Webdunia
जैन धर्म में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का विशेष महत्व है। इसी दिन जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का प्रथम आहार हुआ था, उस दिन वैशाख शुक्ल तृतीया थी। इसी दिन राजा श्रेयांस ने मुनिराज को नवधाभक्तिपूर्वक आहार दान (इक्षुरस) देकर अक्षय पुण्य प्राप्त किया था। अत: वैशाख तृतीया के दिन जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का पूजन किया जाता है। 
 
पढ़ें जैन पद्धति से अक्षय-तृतीया पर्व का पूजन... 
 
- (श्री राजमलजी पवैया कृत)
 
(तांटक)
 
अक्षय-तृतीया पर्व दान का, ऋषभदेव ने दान लिया।
नृप श्रेयांस दान-दाता थे, जगती ने यशगान किया।।
 
अहो दान की महिमा, तीर्थंकर भी लेते हाथ पसार।
होते पंचाश्चर्य पुण्य का, भरता है अपूर्व भण्डार।।
 
मोक्षमार्ग के महाव्रती को, भावसहित जो देते दान,
निजस्वरूप जप वह पाते हैं, निश्चित शाश्वत पदनिर्वाण।।
 
दान तीर्थ के कर्ता नृप श्रेयांस हुए प्रभु के गणधर।
मोक्ष प्राप्त कर सिद्धलोक में, पाया शिवपद अविनश्वर।।
 
प्रथम जिनेश्वर आदिनाथ प्रभु! तुम्हें नमन हो बारम्बार।
गिरि कैलाश शिखर से तुमने, लिया सिद्धपद मंगलकार।।
 
नाथ आपके चरणाम्बुज में, श्रद्धा सहित प्रणाम करूं।
त्यागधर्म की महिमा पाऊं, मैं सिद्धों का धाम वरूं।।
 
शुभ वैशाख शुक्ल तृतीया का, दिवस पवित्र महान हुआ।
दान धर्म की जय-जय गूंजी, अक्षय पर्व प्रधान हुआ।।
 
ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्!
ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ:तिष्ठ:ठ:ठ:!
ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्!
 
(वीरछन्द)
 
कर्मोदय से प्रेरित होकर, विषयों का व्यापार किया।
उपादेय को भूल हेय तत्वों, से मैंने प्यार किया।।
 
जन्म-मरण दुख नाश हेतु मैं, आदिनाथ प्रभु को ध्याऊं।
अक्षय-तृतीया पर्व दान का, नृप श्रेयांस सुयश गाऊं।। टेक।।
 
ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
 
मन-वच-काया की चंचलता, कर्म आस्रव करती है।
 
ALSO READ: अक्षय तृतीया 2022: शुभ मुहूर्त, दान, कथा, उपाय, पूजा विधि और विशेष मंत्र से एक साथ

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इजराइल के दुश्मन क्यों है ईरान सहित सभी मुस्लिम देश?

12 जून से मांगलिक कार्यों पर लगेगा विराम, 5 माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य

वट सावित्री व्रत दो बार क्यों मनाया जाता है?

शनि देव को अतिप्रिय हैं ये चार फूल: शनि जयंती पर चढ़ाने से दूर होंगे शारीरिक तथा मानसिक कष्ट

वट सावित्री व्रत के दिन नहीं मिले बरगद का पेड़ तो ऐसे करें पूजा

सभी देखें

धर्म संसार

नौतपा नहीं तपता है तो क्या बारिश कम होती है?

नौतपा में सूर्य रहेंगे रोहिणी नक्षत्र में, पढ़ें इस नक्षत्र की अनसुनी 8 बातें और रोचक जानकारी

नौतपा 2025 : नवतपा के दौरान क्या करें और क्या न करें: जानें काम की बाते

शनिदेव 138 दिनों तक मीन में चलेंगे वक्री चाल, 4 राशियों को होगा बड़ा लाभ

मंगलवार को ज्येष्ठ अमावस्या, यदि जीवन में हैं परेशान तो करें ये 5 अचूक उपाय

अगला लेख