krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण का पसंदीदा भोजन कौन-सा है, जानें 56 भोग कथा

WD Feature Desk
गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (11:50 IST)
Krishna bhagwan ka prasad : भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ था। इस बार 26 अगस्त 2024 सोमवार के दिन भगवान कृष्‍ण का जन्मदिन मनाया जाएगा। मथुरा और वृंदावन में बाल गोपाल को झूले में विराजमान करके 56 तरह के भोग लगाकर उनकी अष्‍ट प्रहर पूजा की जाती है। आओ जानते हैं कि भगवान श्री बालमुकुंद जी को कौन सा भोग पसंद हैं और कौन सी प्रसाद उन्हें अर्पित करते हैं।ALSO READ: कृष्‍ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं वही द्वापर युग वाले दुर्लभ योग जो बने थे 5251 वर्ष पहले
 
1. कृष्‍ण फल : भगवान श्रीकृष्ण को आम, केला, नारियल, सेब, अमरूद, अनार, सीताफल, पपीता, खजूर, नील बदरी, आंवला, शहतूत, गन्ना और बेर आदि फल प्रिय है।
 
2. कृष्ण भोग : भगवान श्रीकृष्ण को साग, कढ़ी और पूरी के अलावा प्रमुख रूप से 8 भोजन प्रिय है- 1.खीर, 2.सूजी का हलुआ या लड्डू, 3.सिवइयां, 4.पूरनपोळी, 5. मालपुआ 6. केसर भात, 7. केले सहित सभी मीठे फल और 8. कलाकंद।
 
3. कृष्ण प्रसाद : श्रीकृष्ण को उपरोक्त भोग के अलावा उन्हें 1. माखन-मिश्री, 2. पंचामृत, 3. नारियल, 4. सुखे मेवे और 5. धनिया पिंजरी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
 
4. कृष्‍ण मिठाई : पीले पेड़े, रसगुल्ला, मोहन भोग, मखाना पाग, घेवर, जलेबी, रबड़ी, बूंदी या बेसन के लड्डू, मथुरा के पेड़े आदि मिठाइयों का भोग भी उन्हें पसंद है।
 
श्रीकृष्‍ण को क्यों अर्पित करते हैं 56 भोग?
भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं जिसे 56 भोग कहा जाता है। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है। एक बार जब इन्द्र के प्रकोप से सारे ब्रजमंडल को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार 7 दिन तक भगवान ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। 8वें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इन्द्र की वर्षा बंद हो गई है, तब सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में 8 पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण को लगातार 7 दिन तक भूखा रहना उनके ब्रजवासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ। तब भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए सभी ब्रजवासियों सहित यशोदा माता ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=56 व्यंजनों का भोग बालगोपाल को लगाया। तभी से ब्रज के मंदिरों में भगवान की अष्ट प्रहर पूजा के साथ ही 56 भोग अर्पित करने के प्रचलन है।
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