रंक को राजा बना सकती है शुद्ध मन से की गई श्रीकृष्ण भक्ति

Webdunia
पं. प्रहलाद कुमार पंड्या 
 
भगवान श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनके प्रेरणाओं व मार्गदर्शन से भरा हुआ है। उन्हें पूर्ण पुरुष लीला अवतार कहा गया है। उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन श्री व्यास ने श्रीमद्भागवत पुराण में विस्तार से किया है। भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र मानव को धर्म, प्रेम, करुणा, ज्ञान, त्याग, साहस व कर्तव्य के प्रति प्रेरित करता है। उनकी भक्ति मानव को जीवन की पूर्णता की ओर ले जाती है।
 
भाद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को देश व विदेश में कृष्ण जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म बुधवार को मध्यरात्रि में हुआ। उनके जन्म के समय वृषभ लग्न व चंद्रमा वृषभ राशि में था। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन विविध लीलाओं से युक्त है। भगवान विष्णु के कुल 24 अवतारों के क्रम में कृष्ण अवतार का क्रम 22 वां है। धरती पर धर्म की स्थापना के लिए ही द्वापर में भगवान विष्णु कृष्ण के रूप में मथुरा के राजा कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से अवतरित हुए।
 
उनका बाल्य जीवन गोकुल व वृंदावन में बीता। गोकुल की गलियों में व मां यशोदा की गोद में पले-बढ़े कृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में ही अपने परमब्रह्म होने की अनुभूति से यशोदा व बृजवासियों को परिचित करा दिया था। उन्होंने पूतना, बकासुर, अघासुर, धेनुक और मयपुत्र व्योमासुर का वध कर बृज को भय मुक्त किया तो दूसरी ओर इंद्र के अभिमान को तो़ड़ गोवर्धन पर्वत की पूजा को स्थापित किया।
 
बाल्य अवस्था में कृष्ण ने न केवल दैत्यों का संहार किया बल्कि गौ-पालन उनकी रक्षा व उनके संवर्धन के लिए समाज को प्रेरित भी किया। उनके जीवन का उत्तरार्ध महाभारत के युद्ध व गीता के अमृत संदेश से भरा रहा। धर्म, सत्य व न्याय के पक्ष को स्थापित करने के लिए ही कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया। महाभारत के युद्ध में विचलित अपने सखा अर्जुन को श्री कृष्ण ने वैराग्य से विरक्ति दिलाने के लिए ही गीता का संदेश दिया। गीता का यह संदेश आज भी पूरे विश्व में अद्वितीय ग्रंथ के रूप में मान्य है। 
 
भगवान कृष्ण ने जहां अभिमानियों के घमंड को तो़ड़ा वहीं अपने प्रति स्नेह व भक्ति करने वालों को सहारा दिया। राज्य शक्ति के मद में चूर कौरवों के ५६ भोग का त्याग कर भगवान कृष्ण ने विदुर की पत्नी के हाथ से साग व केले का भोग ग्रहण कर विदुराणी का मान ब़ढ़ाया। द्वारका का राजा होने के बाद भी उन्होंने अपने बाल सखा दीन-हीन ब्राह्मण सुदामा के तीन मुट्ठी चावल को प्रेम से ग्रहण कर उनकी दरिद्रता दूर कर मित्र धर्म का पालन किया। कृष्ण भारतीय जीवन का आदर्श हैं और उनकी भक्ति मानव को उसके जीवन की पूर्णता की ओर ले जाती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Aaj Ka Rashifal: 18 मई का दिन क्या लाया है आपके लिए, पढ़ें अपनी राशि

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

18 मई 2024 : आपका जन्मदिन

18 मई 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Maa lakshmi beej mantra : मां लक्ष्मी का बीज मंत्र कौनसा है, कितनी बार जपना चाहिए?

अगला लेख