आज ज्येष्ठ मास का बड़ा मंगल है जानिए महत्व और पूजा विधि

Webdunia
मंगलवार, 24 मई 2022 (11:28 IST)
ज्येष्ठ माह में हनुमानजी और मंगलदेवजी की पूजा का खासा महत्व रहता है। इन मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं। ज्येष्ठ माह का आज दूसरा मंगल है। 17 मई से शुरू हुए ज्‍येष्‍ठ मास में 5 बड़ा मंगल पड़ेंगे। यह महीना 14 जून को खत्‍म होगा। बड़ा मंगल के दिन विधि-विधान से हनुमान जी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन के सारे संकटों का समाधान तुरंत ही हो जाता है।
 
महत्व : ज्येष्ठ के महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान की मुलाकात हुई थी, जिसके चलते ये इस माह के मंगलवार पर हनुमान पूजा का खासा महत्व रहता है। इसीलिए इस माह के मंगल को महिमा बढ़ जाती है। ज्येष्ठ माह में ही हनुमानजी और श्रीराम का मिलन हुआ था।
 
 
1. आज 24 मई को विश्‍कुंभ योग में दूसरे बड़े मंगल का व्रत रखा जाएगा।
 
2. इस दिन लहसुन, प्याज, नॉनवेज, अंडा, नमक, शराब आदि सभी तरह की तामसिक खाद्य पदार्थों का त्याग कर देने चाहिए।
 
3. मंगलवार को उधार लेना और देना अशुभ माना जाता है।
 
4. इस दिन सफेद और काले वस्त्रों का भी त्याग कर दिया जाता है।
 
5. इस दिन किसी का अपमान न करें, क्रोध न करें, अपशब्द न बोलें, ब्रह्मचर्य का पालन करें। 
 
6. आज उत्तर दिशा में दिशाशूल है। यदि यात्रा करना जरूरी हो तो गुड़खाकर ही यात्रा करें।
हनुमान पूजा विधि- Hanuman puja vidhi :
 
1. प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।
 
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद हनुमानजी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें और आप खुद कुश के आसन पर शुद्ध और पवित्र वस्त्र पहनकर बैठें।
 
3. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। इसके बाद धूप, दीप प्रज्वलित करके पूजा प्रारंभ करें।
 
4. हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
5. अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
 
6. अंत में हनुमानी की आरती उतारें और उनकी आरती करें। उनकी आरती करके नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद रूप में सभी को बांट दें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख