हनुमान चालीसा क्यों पढ़ते हैं?

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शास्त्रों अनुसार कलयुग में हनुमानजी की ही भक्ति को सबसे जरूरी, प्रथम और उत्तम बताया गया है लेकिन अधिकतर जनता भटकी हुई है। वह ज्योतिष और तथाकथित बाबाओं, गुरुओं को ही अपना सबकुछ मानकर बैठी है। ऐसे भटके हुए लोगों को राम ही बचाने वाले हैं। आओ जानते हैं कि हनुमान चालीसा क्यों पढ़ते हैं?
 
1. अदृश्य शक्तियों से रक्षा हेतु : हनुमान चालीसा का पाठ जहां हमें भूत-प्रेत जैसी न दिखने वाली आपदाओं से बचाती है, वहीं यह ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव से भी बचाती है। हनुमान चालीसा पढ़ते रहने से बुरी और नकरात्मक शक्ति का असर नहीं होता हैं। 
 
2. घटना दुर्घटना से बचने हेतु : जो व्यक्ति‍ प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ता है उसके साथ कभी भी अचानक से होने वाली घटना और दुर्घटना नहीं होती है।
 
3. भय से मुक्ति हेतु : यदि आपको किसी भी प्रकार का जाना अनजाना भय है तो आपको हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करना चाहिए। यह जीवन को भयमुक्त बनाती है।
 
4. मानसिक शांति हेतु : यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्या सता रही है तो ऐसे में इसके पाठ से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है, इसमें कोई शंका या संदेह नहीं है। मन के सभी विकार दूर होतें है और मन स्थिर बना होता है।
5. रोग से मुक्ति हेतु : हनुमान चालीसा पढ़ते रहने से जातक हर तरह के रोग से मुक्ति हो जाता है, बस मन में यह आस्था होना जरूरी है कि हनुमानजी मेरी सारी पीड़ा हर लेंगे।
 
6. संकटों से बचने के लिए : हनुमानजी संकट मोचन है। वे हर तरह के संकट से बचाते हैं। जीवन में किसी भी प्रकार का संकट आ गया है तो रोज 7 बार हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।
 
7. बल, विद्या और बुद्धि हेतु : हनुमान चालीसा पढ़ते रहने से आदमी की बुद्धि जागृत हो जाती है। उसे सही गलत का ज्ञान होने लगता है, जिसके कारण वह अपने विवेक से काम करता है। इसी के साथ उसकी शारीरिक कमजोरी भी दूर होकर हनुमानजी उसे बल प्रदान करते हैं। व्यक्ति हर तरह की सांसारिक विद्या में पारंगत भी हो जाता है।
 
8. गृह कलेश से मुक्ति हेतु : हनुमान चालीसा पढ़ते रहने से घर में किसी भी प्रकार का कलेश नहीं होता है और सभी तरह के कलेश का नाश हो जाता है। सभी तरह की बाधाओं से भक्त को मुक्ति मिलती है।
 
9. शनि, राहतु और केतु पीड़ा से मुक्ति : नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति पर शनि, राहु और केतु का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया का असर भी नहीं होता है।

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