कर्नाटक विधानसभा चुनाव में BJP की हार के 5 बड़े कारण

विकास सिंह
शनिवार, 13 मई 2023 (12:42 IST)
Reasons for BJP Defeat in Karnataka:कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka election) में कांग्रेस (Congess) को बड़ी जीत हासिल हुई है। विधानसभा चुनाव के अब तक आए रुझान और परिणाम में कांग्रेस ( (congress in karnataka) प्रचंड बहुतम के साथ राज्य में सरकार बनाने जा रही है। कर्नाटक का इतिहास रहा है कि 1985 से कोई भी पार्टी सत्ता में लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाई है। चुनाव में भाजपा की हार के एक नहीं कई कारण है। 

1-भ्रष्टाचार और एंटी इंकम्बेंसी भाजपा पर पड़ गई भारी- 
कर्नाटक में भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर रहा  है। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के चेहरे मुख्मंत्री बसवराज बोम्मई और उनके कैबिनेट के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दें को कांग्रेस ने अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया। कांग्रेस ने अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तस्वीर वाले ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं,जिन पर ‘पेसीएम’ लिखा हुआ था।

पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने इसे मुद्दें को अपना सबसे बड़ा चुनावी हाथियार बनाया। 40 फीसदी कमीशन के साथ भ्रष्टाचार के साथ ‘पेसीएम’ का  कांग्रेस का स्लोगन जनता को खूब पसंद आया और चुनाव परिणाम इसकी तस्दीक करते है चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चुनावी रूझान/परिणाम बता रहे है कि बोम्मई सरकार के कई मंत्री चुनाव हरा रहे रहे है। 
ALSO READ: Karnataka Assembly Election Result 2023 Live: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 परिणाम : दलीय स्थिति
2-महंगाई और बेरोजगारी बड़ा मुद्दा-
कर्नाटक विधानसभा चुनाव महंगाई एक बड़ा मुद्दा रहा है। रसोई गैस सिलेंडर के दाम सहित खाने-पीने के अन्य सामानों के दामों की रिकॉर्ड तोड़ कीमतों को जैसे कांग्रेस ने चुनावी मुद्दा बनाया और वह चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ गया। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के शासन काल में राज्य में बेरोजगारी के साथ महंगाई को जनता के बीच पुरजोर तरीके से उठाया और चुनाव नतीजे बताते है कि कर्नाटक की जनता ने इन मुद्दों पर खुलकर कांग्रेस का साथ भी दिया।  
 
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने भाजपा सरकार के दौरान बेरोजगारी के चलते लोगों की आत्महत्या का मुद्दा खूब उठाया। चुनाव के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कर्नाटक में 4 सालों में 6487 किसानों ने  गरीबी की वजह से 542 लोग और बेरोजगारी की वजह से 1675 लोग और कर्ज-घाटे की वजह से 3734 लोगों ने आत्महत्या की और इसके लिए भाजपा सरकार की नीतियां जिम्मेदार है।
ALSO READ: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के लिए बनेगी संजीवनी!
3-मुद्दों पर भाजपा पर भारी पड़ गई कांग्रेस-
कर्नाटक विधानभा चुनाव में भाजपा ने बजंरग बली के साथ मुस्लिम आरक्षण के साथ कॉमन सिविल कोड को मुद्दा बनाने की कोशिश की वहीं कांग्रेस ने पूरा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार का बड़ा कारण भी मुद्दों का चुनाव रहा।

भाजपा ने पूरे चुनाव को हिंदुत्व के मोड पर लाने की कोशिश की। कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने को भाजपा ने चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की लेकिन चुनाव परिणाम बताते है कि जनता पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया। वहीं राज्य की भाजपा सरकार ने चुनाव से ठीक पहले राज्य में मुसलमानों के 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश की लेकिन पार्टी इसके सहारे अपनी चुनावी नैय्या पार नहीं कर पाई।
 
कर्नाटक में कांग्रेस ने पूरा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जबकि कांग्रेस पूरे चुनाव के दौरान स्थानीय मुद्दों को उठाती है। चुनाव परिणाम बताते है कि कर्नाटक की जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों की जगह स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी और कांग्रेस ने स्पष्ट जीत हासिल कर ली।      
 
4-भाजपा में भितरघात और नेताओं की नाराजगी-
कर्नाटक में भाजपा की हार का बड़ा कारण चुनाव से ठीक पहले पार्टी के नेताओं की नाराजगी समाने जिस तरह भाजपा ने डेढ़ साल पहले येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर बसवराज बोम्मई को सत्ता सौंपी थी उसके पार्टी के कई सीनियर नेता नाराज बताए जा रहे है और चुनाव में पार्टी को भितरघात का सामना कर पड़ सकता है। चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। वहीं चुनाव से ठीक पहले भाजपा के  कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए, जिससे राज्यों में चुनाव माहौल भाजपा के खिलाफ  हो गया।  
 
5-चुनाव में लिंगायत वोटरों को साध नहीं पाई भाजपा-
कर्नाटक में भाजपा की हार का बड़ा कारण लिंगायत वोटों की नाराजगी रही है। भाजपा ने चुनाव से पहले लिंगायत वोट बैंक को साधने  के लिए 80 साल के येदियुरप्पा को अपना चुनावी चेहरा बनाया। येदियुरप्पा राज्य में लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता माने जाते है उनको आगे कर भाजपा ने लिंगायत समुदाय को ये संदेश देने की कोशिश की उसने लिंगायत समुदाय को दरकिनार नहीं किया है, लेकिन चुनाव परिणाम बताते है कि लिंगायत वोटरों ने भाजपा का साथ नहीं दिया। उत्तरी कर्नाटक और मध्य कर्नाटक जहां लिंगायत वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते है वहां पर भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Uttar Pradesh Assembly by-election Results : UP की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम, हेराफेरी के आरोपों के बीच योगी सरकार पर कितना असर

PM मोदी गुयाना क्यों गए? जानिए भारत को कैसे होगा फायदा

महाराष्ट्र में पवार परिवार की पावर से बनेगी नई सरकार?

पोस्‍टमार्टम और डीप फ्रीजर में ढाई घंटे रखने के बाद भी चिता पर जिंदा हो गया शख्‍स, राजस्‍थान में कैसे हुआ ये चमत्‍कार

सभी देखें

नवीनतम

राजस्थान सरकार में हुआ विभागों का बंटवारा, जानिए किसे क्‍या मिला?

छत्तीसगढ़ में मंत्रियों को मिले विभाग, मध्य प्रदेश में अभी भी इंतजार

मोहन के मंत्री तय, 18 कैबिनेट, 6 स्वतंत्र प्रभार, 4 राज्य मंत्रियों ने ली शपथ

मिलान से मेवात आईं, अशोक गहलोत के मंत्री को दी पटखनी, कौन हैं नौक्षम चौधरी?

राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा किस दिन लेंगे शपथ? तारीख आ गई सामने

अगला लेख