दीपावली पर कविता : दूर हुए अंधियारे, आई दिवाली...

Webdunia
- अखिलेश जोशी


 
जगमग-जगमग दीप जले 
आई दिवाली
घर-घर में नाच रही है खुशहाली।
 
दूर हुए अंधियारे, लगें उजले पहर
जगमगा उठे हैं हर गांव, हर शहर
धरती आसमान पर छाई,
खुशियों की लाली। 
 
दीप धरे बालक-बाला मुंडेरों पर
रंग रंगोली से सजाए हैं कैसे घर
वंदनवार लगाए द्वार सजाए
लगाए झूमर मोली। 
 
चुन्नू-मोनी फोड़ रहे हैं पटाखे
रामू-श्यामू भी कर रहे हैं धमाके,
खुशियों से भर ली, पटाखों की झोली। 
 
भेदभाव भुलाकर, गले मिल रहे हैं
गीत खुशी के गाए, कैसे झूम रहे हैं
मन में स्नेह भाव, बोले मीठी बोली। 

साभार- देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डॉक्टर्स और एक्सपर्ट

Winter Fashion : सर्दियों में परफेक्ट लुक के लिए इस तरह करें ओवरसाइज्ड कपड़ों को स्टाइल

सभी देखें

नवीनतम

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

बॉडी पॉलिशिंग का है मन और सैलून जाने का नहीं है टाइम तो कम खर्च में घर पर ही पाएं पार्लर जैसे रिजल्ट

मजेदार बाल गीत : गुड़िया रानी क्या खाएगी

क्या बच्‍चों का माथा गर्म रहना है सामान्य बात या ये है चिंता का विषय?

अगला लेख