बच्चों की मनोरंजक कविता : पाकिट खर्च बढ़ा दो पापा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मंगलवार, 9 जुलाई 2024 (17:18 IST)
पाकिट खर्च बढ़ा दो मम्मी
पाकिट खर्च बढ़ा दो पापा
एक रुपए में तो पापाजी
अब बाज़ार में कुछ न आता।
 
एक रुपए में तो मम्मीजी
चॉकलेट तक न मिल पाती
इतने से थोड़े पैसे में
भुने चने में कैसे लाती।
 
ब्रेड मिल रही है पंद्रह में
और कुरकुरे दस में आते
एक रुपए की क्या कीमत है
पापाजी क्यों समझ न पाते।
 
पिज्जा है इतना महंगा कि
तीस रुपए में आ पाता है
एक रुपया रखकर पाकिट में
मेरा तन मन शर्माता है।
 
आलू चिप्स पांच में आते
और बिस्कुट पेकिट दस में
अब तो ज्यादा चुप रह जाना
रहा नहीं मेरे बस में।
 
न अमरुद मिले इतने में
न ही जामुन मिल पाता 
एक रुपए में प्रिय मम्मीजी
आप बता दो क्या लाएं।
 
मुझको खाना आज जलेबी
मुझको खाना रसगुल्ला
इतने से पैसों में बोलो
क्या मिल पाए आज भला।
 
तुम्हीं बता दो अब मम्मीजी
कैसे पाकिट खर्च चले
समझा दो थोड़ा पापा को
उधर न मेरी दाल गले।  
 
कम से कम दस करवा दें
इतने से काम चला लेंगे
एक साल तक प्रिय मम्मीजी
कष्ट आपको न देंगे।
 
(यहां पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या आप भी शुभांशु शुक्ला की तरह एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जानिए अंतरिक्ष में जाने के लिए किस डिग्री और योग्यता की है जरूरत

हार्ट अटैक से एक महीने पहले बॉडी देती है ये 7 सिग्नल, कहीं आप तो नहीं कर रहे अनदेखा?

बाजार में कितने रुपए का मिलता है ब्लैक वॉटर? क्या हर व्यक्ति पी सकता है ये पानी?

बालों और त्वचा के लिए अमृत है आंवला, जानिए सेवन का सही तरीका

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

सभी देखें

नवीनतम

क्या संविधान से हटाए जा सकते हैं ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्द? क्या हैं संविधान संशोधन के नियम

सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए पीएं ये 10 नैचुरल और स्ट्रेस बस्टर ड्रिंक्स

'आ' से अपनी बेटी के लिए चुनिए सुन्दर नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

आषाढ़ अष्टाह्निका विधान क्या है, क्यों मनाया जाता है जैन धर्म में यह पर्व

आरओ के पानी से भी बेहतर घर पर अल्कलाइन वाटर कैसे बनाएं?

अगला लेख