मजेदार बाल कविता: हर मौसम भरपूर जिया है

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
करते तो हैं बातें दादा,
अच्छी खासम खास।
लेकिन अम्मा मुझे नहीं है,
बिल्कुल भी विश्वास।
 
वे कहते हैं दिन-दिन भर वे,
टंगे पेड़ पर रहते थे।
किसी डाल पर बैठ मजे से,
पुस्तक पढ़ते रहते थे।
उनकी बहन वहीं पढ़ती थीं,
बैठी उनके पास।
 
आम्र वृक्ष की सबसे ऊंची,
वे टुलंग तक चढ़ जाते।
पके आम के कान खींचने,
हाथ लपककर बढ़ जाते।
पलक झपकते बनता उनका,
पका आम वह दास।
 
एक पेड़ से पेड़ दूसरे,
कूद-फाद करते हर दिन।
इमली आम बरगदों के फल,
तोड़-तोड़ रखते गिन-गिन।
झोली में दिन भर भरते थे,
हंसी, खुशी, उल्लास।
 
वे कहते हैं, छिवा-छिवौ-अल,
पेड़ों पर खेलें हैं खूब।
उतरे चढ़े धूप के जैसे
डाली पर लूमे हैं खूब।
हर मौसम भरपूर जिया है,
ग्रीष्म, ठण्ड, मधुमास।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: बाल गीत : उठ जाओ अब मेरे लल्ला

ALSO READ: बाल कविता : सूरज अविरल जाग रहा

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख