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मोबाइल युग में पुस्तकें पढ़ने को प्रेरित करती एक मजेदार कविता: देकर हमें दुआएं

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

, गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 (13:59 IST)
दादाजी-दादाजी मैंने,
पढ़ी कहानी पुस्तक में।
 
मोबाइल में पढ़ता तो,
दर्द आंख में होता था।
आंख लाल हो जाती थी तो,
बहुत देर तक रोता था।
पढ़ी कहानी पुस्तक में तो,
बहुत मजा आया सच में।
 
मोबाइल में बार-बार ही,
ध्यान भटक सा जाता था।
पढ़ना कुछ होता था मुझको,
उल्टा कुछ पढ़ जाता था।
अब समझा, वह व्यर्थ पढ़ाई,
नहीं उचित थी, न हक में।
 
मोबाइल में ज्यादा पढ़ना,
सिर में दर्द बढ़ाता है।
पढ़ा हुआ वह, नौ दो ग्यारह,
कुछ दिन में हो जाता है।
चमकदार परदे लगवा ही,
देते कुछ दिन में चश्मे।
 
अब सोचा है कथा कहानी,
पढ़ा करूंगा पुस्तक में।
नहीं रहूंगा किसी तरह भी,
मोबाइल के मैं वश में।
देकर हमें दुआएं, दे दो,
दस के दस नंबर, दस में।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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