बाल कविता : धूप कब की जा चुकी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Sun poem
 
अब जहां देखो
वहां छाया अंधेरा
धूप कब की
जा चुकी।
 
रोशनी के लेख
सूरज लिख रहा
पर किसे मालूम
है वह बिक रहा
लेख के हर शब्द की
कीमत लगी
आसमानों के फलक ने
दे रखी
फिर बवंडर की
सवारी आ चुकी।
 
आम महुए जाम केले
रोशनी को खल रहे
सोच उनकी, क्यों मधुर फल
डालियों में फल रहे
झोपड़ी कच्चे घरों की
हंसी उनको टीसती है
देखकर इनको, व्यवस्था
दांत अपने पीसती है
सत्य जबड़े में फंसा
ईमान अपना खा चुकी है।
 
पाल को भी भय लगा
नाव कैसे पर हो
अंधड़ों के चंगुलों में
रोज ही मंझधार हो
थे कभी तारण तरण
वे ही डुबाने पर तुले
है सभी कुछ अब प्रमाणित
साक्ष्य सारे मिल चुके
आस्था विश्वास इज्ज्त
खाक में मिलवा चुकी।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं

अगला लेख