नन्ही कविता : हंसते-हंसते आजा आजा

कृष्ण वल्लभ पौराणिक
अरी! अंजली आजा आजा
मत रो अब तू आजा आजा
खेलेंगे हम रोटा पानी
हंसते-हंसते आजा आजा ...1

अरी! सात्विका नहीं खेलना
है मुझको अब रोटा पानी
कपड़े ना पहनाए तूने
ठंडी मर गई गुड़िया रानी ...2 
 
अरी! अंजली भूल गई थी
कल जल्दी में उसे पहनाना
अब मैं ऐसा नहीं करूंगी
अच्‍छा लगता तेरा आना ...3
 
अरी! सात्विका मैं आती हूं
हम खेलेंगे खेल पुराना
भोजन की टेबल पर थाली
रखकर परोसेंगे हम खाना ...4
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