बाल कविता: हाथी दादा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
elephant poem
 
ताधिक ताधिक ता ता धिन्ना।
हाथी दादा चूसो गन्ना।
 
फिर थोड़े से केले खाना।
केले खाकर मेले जाना।
 
खूब झूलना वहां हिंडोला।
चक्कर वाला झूला गोला।
 
सूंड बढ़ाना आसमान तक
ग्रह तारों के नाक कान तक।
 
गोरा चांद चूमकर आना।
काले से गोरे हो जाना।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

तन पर एक भी कपड़ा नहीं पहनती हैं ये महिला नागा साधु, जानिए कहां रहती हैं

सर्दियों में रोजाना पिएं ये इम्यूनिटी बूस्टर चाय, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

क्या सच में ठंडे दूध का सेवन देता है एसिडिटी से राहत

मां गंगा के पवित्र नाम पर दें बेटी को प्यारा सा नाम, पौराणिक हैं अर्थ

सभी देखें

नवीनतम

रोज की बाल झड़ने की समस्या से हैं परेशान? हफ्ते में सिर्फ 1 बार लगाएं ये आयुर्वेदिक हेयर मास्क और पाएं राहत

संस्कृत से की पढ़ाई, उर्दू में की शायरी, अब होंगे पद्मश्री से सम्मानित, जानिए ब्राह्मण से बने शीन काफ निजाम का सफर

वसंत पंचमी पर क्या बनाते हैं?

Sleeping Tips : सोने से पहले इन तरीकों से करें मेडिटेशन, मिनटों में दूर होगी नींद न आने की समस्या

क्या है चीन का AI चैंपियन DeepSeek जो दे रहा है ChatGPT को कड़ी चुनौती, जानिए किसने बनाया है DeepSeek

अगला लेख