किसान दिवस पर हिन्दी कविता

Webdunia
माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का
 

 
मेरे घर नहीं तिजोरी
कपड़े हैं एक जोड़ी
लेने को पेन-कॉपी
नहीं है फूटी-कौड़ी
 
कमजोर बना घर है टूटा हुआ छप्पर है
मजबूत चौखट प्रेम की पर लगी मेरे दर है
 
खजाना भरा है,
विचारों की शान का
मैं ही बनूंगा गौरव
भारत महान का
 
अभावों में मैं पला हूं भूख से भी मैं जला हूं
लेकिन ये पाई प्रेरणा सत्यपथ से न टला हूं।
 
न अंग्रेजी सीख पाया
न जीन्स-ट्राऊजर में मचलना
सीखा है मगर मैंने
सिद्धांतों पर चलना
 
बनूंगा मैं हिन्द का रखवाला आन का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का।
 
- संतोष गुप्ता, सुवासरा
 
साभार- देवपुत्र 
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में क्या अंतर है, समझिए

कितनी खतरनाक बीमारी है गिलियन बैरे सिंड्रोम, इलाज के लिए 1 इंजेक्शन की कीमत 20 हजार

बेटे को दें ऋग्वेद से प्रेरित ये नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

खजूर से भी ज्यादा गुणकारी हैं इसके बीज, शुगर कंट्रोल से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने तक हैं फायदे

जानिए ठंडी हवाओं और रूखे मौसम का बालों पर कैसा असर पड़ता है? सर्दियों में लंबे बालों की देखभाल क्यों है जरूरी?

सभी देखें

नवीनतम

रामसरूप के बहाने कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री एंगल

रहस्यवादी और आध्यात्मिक गुरु, अवतार मेहर बाबा की पुण्यतिथि

इन टिप्स को अपनाने से आपके बच्चों के साथ हमेशा अच्छे रहेंगे रिलेशन, बहुत काम की हैं ये बातें

सोते समय क्या बालों को बांधकर रखना है सही, जानिए है बालों की सेहत के लिए राइट चॉइस

इस फल के साथ इसके बीज भी हैं सेहत के लिए वरदान, जानिए फ़ायदे और इस्तेमाल के तरीके

अगला लेख