बाल गीत : मेरे दादाजी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
दादाजी बैरंग घर आए,
मुझे टॉफियां तक न लाए।
 
मैंने कितना समझाया था,
पक्का वादा करवाया था।
चॉकलेट यदि न लाएंगे,
घर में पग न रख पाएंगे।
फिर भी वादा नहीं निभाया,
आकर छूंछे हाथ हिलाए।
 
बिस्किट लाने को बोला था,
दिया एक खाली झोला था।
वादा था लड्डू लाएंगे,
बरफी सबको खिलवाएंगे।
वापस आने पर जब पूछा,
'सॉरी' कहकर गाल बजाए।
 
जब दादाजी बाहर जाते,
टम्मूजी वादा करवाते।
कुछ न कुछ लेकर वे आएं,
घर के बच्चों को खिलवाएं।
किंतु आज तक दादाश्रीजी,
बच्चों को कुछ कभी न लाए।
 
एक दिवस बच्चों ने मिलकर,
पूछा दादाजी से हंसकर।
बाहर कभी आप जब जाते, 
हमें कभी कुछ भी न लाते।
तब बाजारू इन चीजों के,
ढेरों-ढेरों दोष गिनाए।
 

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