बाल गीत : गुड़िया के क्या कहने

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कमर में करधन नाक में बाली,
हाथ में कंगन पहने हैं।
अहा! अहा! री गुड़िया रानी,
तेरे अब क्या कहने हैं।
 
तीन साल की उमर सलोनी,
फुदक-फुदक कर चलती है।
नहीं संभल पाती, दादी की,
गोद में जाकर गिरती है।
दादी को भी मजे-मजे से,
उसके नखरे सहने है।
 
दादाजी ने रबर पेंसिल,
कॉपी एक दिला दी है।
लेकिन यह क्या गुड़िया ने तो,
क्या दुर्दशा बना दी है।
पन्ने फाड़-फाड़ कॉपी के,
झंडे रोज फहरने हैं।
 
गुड्डा-गुड़ियों के संग गुड़िया,
रोज तमाशा करती है।
नाक खीचती कभी, किसी के,
दोनों कान पकड़ती है।
इसी तरह से रोज खिलोने,
तोड़-ताड़ कर धरने है।
 
नटखट प्यारी बातों से वह,
मन सबका हर लेती है।
उधम करते-करते ही वह  
घर वश में कर लेती है|
हंसती है तो लगता जैसे,
झर-झर झरते झरने हैं। 

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Ghibli व एनीमे: जापानी 'कल्चरल सुपरपावर' से भारत को सीख

डायबिटीज से लेकर वजन कम करने में बहुत फायदेमंद हैं ये काले बीज, ऐसे खाने से मिलेगा पूरा फायदा

हर युग में प्रासंगिक है भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर निबंध 600 शब्दों में

अपने बेटे के व्यक्तित्व में चाहते हैं भगवान राम के गुण तो दीजिए उसे श्री राम से जुड़े ये सुन्दर नाम

जानिए कौन हैं घिबली' आर्ट की शुरुआत करने वाले हयाओ मियाजाकी, कितनी संपत्ति के हैं मालिक

सभी देखें

नवीनतम

हड्डियों की मजबूती के लिए दूध के साथ मिलाकर खाएं ये काले बीज, फायदे जानकर हो जाएंगे दंग

क्या आप जानते हैं पॉलिश और अनपॉलिश दाल के बीच अंतर? जानें कौन सी दाल है सेहत के लिए बेहतर

इन 5 लोगों को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए तरबूज, जानिए क्या हैं इसके साइड इफेक्ट्स

गर्मियों में इस तरह चुकंदर के इस्तेमाल से गुलाब की तरह खिल उठेगा चेहरा, जानिए लगाने का सही तरीका

क्या इस दवा से उग सकेंगे टूटे दांत, जानिए वैज्ञानिकों के दावे का सच

अगला लेख