शिक्षाप्रद बाल कविता : सेवा से मेवा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kids Poem
निर्धन कमजोरों को रोटी,
रोज बांटते मियां शकील।
 
सुबह-सुबह से खुद भिड़ जाते।
दो सौ रोटी रोज बनाते।
दो मटकों में बड़े जतन से,
सब्जी और दाल पकवाते।
अनुशासन की रेल दौड़ती,
होती इसमें कभी न ढील।
 
रोटी डिब्बे में रखवाते।
दाल बाल्टी में भरवाते।
सूखी सब्जी बड़ी लगन से,
एक टोकनी में बंधवाते।
चल देते हैं लिए साइकिल,
रोज चलें दस बारह मील।
 
लोगों को कुछ समझ न आता।
इन शकील को क्या हो जाता।
कठिन परिश्रम, धन बर्बादी,
इससे इनको क्या मिल पाता।
सेवा से मिलता है मेवा,
बस शकील की यही दलील।
 
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं

अगला लेख