फनी कविता : बद अच्छा, बदनाम बुरा

Webdunia
- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया 'प्राण'
 
तोतापरी, दशहरी, लंगड़ा, हापुस, नीलम, लालमुंहां।
केशर, देशी, खट्टा, चौसा, कलमी क्या बादाम यहां।।
 
एक टोकरी में आ बैठे शुरू हो गई आम सभा।
भाषण होने लगे दनादन दिखा दिखाकर स्वयं प्रभा।।
 
हापुस बोला फल मंडी के हम राजा पर नाम बुरा।
हम सब 'खास म खास' किंतु क्यों नाम हमारा 'आम' बुरा।।
 
बोल उठा बादाम नाम का पाया है अंजाम बुरा।
काजू किशमिश के संग रहता एक और बादाम बुरा।।
 
आमों के राजा लंगड़े की शुभ काया, पर नाम बुरा।
उसको सब लंगड़ा कहते हैं, बद अच्‍छा बदनाम बुरा।।
 
केसर, देशी, खट्टा-मीठा सुनते-सुनते ऊब गए।
नीलम, कलमी, लालमुंहें सब खुसुर-पुसुर में डूब गए।।
 
तब बंबइयां संचालक ने सभाध्यक्ष को याद दिया।
चौसे ने रस बरसा कर दी सराबोर पांडाल किया।।
 
रस की रानी हरी दशहरी ने सबका सत्कार किया।
तोतापरी मंच पर आया, आमों का आभार किया।।
 
साभार - देवपुत्र

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

अगला लेख