चूहा और बिल्ली पर चटपटी कविता : चूहे क्यों न बिकते

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
The Cat And The Rat Poem
 
पूछ रहे बिल्ली के बच्चे,
डूबे गहन विचार में।
 
चूहे क्यों न बिकते हैं मां,
मेलों या बाज़ार में।
 
हम तो घात लगाकर बिल के,
बाहर बैठे रहते हैं।
 
लेकिन चूहे धता बताकर,
हमें छकाते रहते हैं।
 
बीत कई रातें जाती हैं,
दिन जाते बेकार में।
 
अगर हाट में चूहे बिकते
गिनकर कई दर्जन लाते।
 
अगर तौल में भी मिलते तो,
क्विंटल भर तुलवा लाते।
 
बेफिक्री से मस्ती करते,
तीजों में, त्योहार में।
 
जब भी मरजी होती चूहे,
छांट-छांट कर ले आते।
 
दाम, अधिक मोटे, तगड़ों के,
मुंह मांगे हम दे आते।
 
दाम न होते अगर गांठ में,
लाते माल उधार में।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रात में Wi Fi राउटर बंद करने से क्या होता है? क्या हेल्थ पर पड़ता है कोई असर?

चाणक्य की इन बातों से जानें जीने की कला, अगर सीख ली तो कदमों में होगी दुनिया

क्या महिलाओं को भी होता है स्वप्नदोष, क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

1 मिनट से लेकर 1 घंटे तक चलने के हैरान कर देने वाले फायदे, जानिए हर मिनट के साथ आपके शरीर में क्या बदलता है?

ऑपरेशन सिंदूर की कर्नल सोफिया कुरैशी का रानी लक्ष्मीबाई से क्या है कनेक्शन

सभी देखें

नवीनतम

सोते समय म्यूजिक सुनना हो सकता है बेहद खतरनाक, जानिए इससे होने वाले 7 बड़े नुकसान

चाय कॉफी नहीं, रिफ्रेशिंग फील करने के लिए रोज सुबह करें ये 8 काम

क्या आपको भी चीजें याद नहीं रहतीं? हो सकता है ब्रेन फॉग, जानिए इलाज

टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ को हुआ लिवर ट्यूमर, जानिए कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

नहीं कराना चाहते हैं हेअर ट्रांसप्लांट तो लेजर थेरेपी और पीआरपी भी हैं विकल्प, जानिए प्रक्रिया, खर्च और जरूरी सावधानियां

अगला लेख