केतु ग्रह से होती कौन-सी बीमारी, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
केतु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पड़ने वाली छाया। छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है। कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है।

केतु के खराब होने से कई तरह के रोग उत्पन्न होते हैं। लाल किताब के अनुसार कुंडली में केतु के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है। यहां जानिए संक्षिप्त जानकारी।

 

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कैसे होता केतु खराब? :

* पुरखों का मजाक उड़ाना, अच्छे से श्राद्धकर्म नहीं करना।
* गृहकलह या घर-परिवार के लोगों से झूठ बोलना।
* दुर्गा, गणेश और हनुमान का अपमान करना या उनका मजाक उड़ाना।
* घर का वायव्य कोण खराब है तो केतु भी खराब होगा।
* तंत्र-मंत्र, जादू-टोना में विश्वास करने से भी केतु खराब होकर बुरा फल देता है।
* संतानों से अच्छा व्यवहार नहीं रखने पर भी केतु खराब हो जाता है।

कैसे पहचानें कि केतु खराब है, अगले पन्ने पर...



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केतु खराब की निशानी :

* कुंडली में मंगल के साथ केतु का होना बहुत ही खराब माना गया है।
* चन्द्र के साथ होने से चन्द्रग्रहण माना जाता है।
* मंदा केतु पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग, किडनी और जोड़ के रोग पैदा कर सकता है।
* मन में हमेशा किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है।
* नींद में चमककर उठता है व्यक्ति। नींद कुत्ते जैसी हो जाती है।
* व्यक्ति भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोने पर विश्वास करने लगता है।

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केतु शुभ की निशानी :

केतु के शुभ होने से मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान व्यक्ति की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि रहती है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख। ऐसे व्यक्ति की कई संतानें रहती हैं।

केतु शुभ है तो व्यक्ति में पूर्वाभास की क्षमता होता। ऐसे व्यक्ति कुल को तारने वाला होगा।

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केतु की बीमारी :

* पेशाब की बीमारी।
* संतान उत्पति में रुकावट।
* सिर के बाल झड़ जाते हैं।
* शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है।
* केतु के अशुभ प्रभाव से चर्म रोग होता है।
* कान खराब हो जाता है या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है।
* कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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केतु को सुधारने के तरीके :

* दुर्गा या हनुमान की आराधना करें।
* कान छिदवाएं।
* संतानें केतु हैं इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें।
* भगवान, गणेश की आराधना करें।
* दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं।
* कान छिदवाएं।
* कुत्ता पालना।
* तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में दान करें।
* सोते समय सिर के पास किसी पात्र में जल भरकर रखें और सुबह किसी पेड़ में डाल दें। यह प्रयोग 43 दिन करें।
* अपने खाने में से कपिला गाय, कुत्ते, कौवे को हिस्सा दें।
* पक्षियों को बाजरा खिलाएं।
* चींटियों के लिए भोजन की व्यवस्था करें।

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