लाल किताब अनुसार पक्के घर में स्थित ग्रह होते हैं तारने वाले, आप भी देखें कुंडली

अनिरुद्ध जोशी
जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का कारक के रूप में प्रयोग भावानुसार होता है परंतु लाल किताब में प्रत्येक भाव का कारक होता है। लाल किताब के अनुसार भाव के कारक, ग्रहों के पक्के घर कहलाते हैं। लाल किताब में राशि की जगह भाव की प्रधानता है इसलिए इन ग्रहों का महत्व भी अधिक हो जाता है। अतः यहां प्रत्येक ग्रह को किसी न किसी भाव का कारक माना गया है। लाल किताब में ये ग्रहों के पक्के घर के नाम से विख्यात है। जानिए कौनसा सा भाव या घर किस ग्रह का पक्का घर कहलाता है।

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प्रथम भाव में सूर्य, दूसरे भाव में बृहस्पति, तीसरे भाव में मंगल, चौथे भाव में चंद्रमा, पांचवें भाव में बृहस्पति, छठे भाव में बुध और केतु, सातवें भाव में बुध और शुक्र, आठवें भाव में मंगल और शनि, नौवें भाव में बृहस्पति, दसवें भाव में शनि, ग्यारहवें भाव में बृहस्पति और बारहवें भाव में बृहस्पति एवं राहु अपने अपने पक्के घर में होते हैं।

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लाल किताब का एक अन्य सिद्धान्त है कि जिस भाव में कोई ग्रह न हो या भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह भाव सोया हुआ माना जाएगा परंतु अगर ग्रह अपने पक्के घर में स्थित हो जैसे सूर्य प्रथम भाव में, गुरु द्वितीय भाव में इत्यादि तो उस ग्रह को हम पूरी तरह जागता हुआ मानेंगे अर्थात यह कि वह ग्रह अपने प्रभाव से दूसरे भाव या ग्रह को प्रभावित करने में पूर्ण समर्थ होगा। इस दृष्टिकोण से लाल किताब में पक्के घर का ग्रह बहुत उपयोगी माना गया है।  
 

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