रतन टाटा के 10 फैसले जिन्होंने बदली भारतीय उद्योग जगत की दशा दिशा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (12:06 IST)
Ratan Tata passes away : उद्योगपति रतन टाटा के निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। वे जितने कुशल बिजनेस टाइकून थे उतने ही दरियादिल भी थे। मुंबई आतंकी हमले से लेकर कोरोना काल तक कई अवसरों पर उन्होंने खुले दिल से लोगों की मदद की। रतन टाटा ने 21 साल तक टाटा ग्रुप की कमान संभाली और टाटा को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। आइए नजर डालते हैं टाटा के 10 फैसलों पर जिन्होंने भारतीय उद्योग जगत की दशा और दिशा बदल दी। 
 
स्टार्टअप इको सिस्टम : रतन टाटा को नए स्टार्ट अप में निवेश करना खासा पसंद था। उन्होंने 40 से ज्यादा स्टार्ट अप में निवेश कर उन्हें मजबूती दी। इनमें फस्ट क्राई, अर्बन कंपनी, और लेंसकार्ड जैसे स्टार्ट अप शामिल है। ALSO READ: Ratan Tata news : 10 बातों से जानिए कितने खास थे रतन टाटा
 
टाटा इंडिका की लांचिंग : रतन टाटा के नेतृत्व में 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली पैसेंजर कार टाटा इंडिका लांच की। लोगों ने इस कार को हाथों हाथ लिया और देखते ही देखते मात्र 2 साल में यह अपने समूह में नंबर वन कार बन गई।   
 
टेटली का अधिग्रहण : टाटा ने 2000 में ब्रिटेन की सबसे बड़ी चाय कंपनी टेटली ग्रुप का 45 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण किया। यह उस समय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय उत्पादक और वितरण कंपनी थी। यह उस समय किसी भारतीय कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण था।
 
टाटा एआईजी : टाटा ग्रुप ने 1919 में भारत में न्यू इंडिया इंशोरेंस की शुरुआत की थी। 1973 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। 2001 में रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ने अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप इंक (AIG) के साथ मिलकर इंशोरेंस इंडस्ट्री में वापसी की। ALSO READ: अलविदा रतन टाटा, इस दरियादिल बिजनेस टाइकून की अध्यक्षता में कितना आगे बढ़ा टाटा ग्रुप
 
वीएसएनएल पर नियंत्रण : वीएसएनएल न्यूयॉर्क एक्सचेंज में लिस्टेड पहली सरकारी कंपनी थी। टाटा समूह ने 2002 में इस कंपनी में नियंत्रणकारी शेयर हासिल किए। बाद में कंपनी का नाम बदलकर टाटा कम्यूनिकेशंस लिमिटेड हो गया। 
 
टीसीएस ने किया कमाल : टीसीएस के माध्यम से टाटा ग्रुप ने सॉफ्टवेअर इंडस्ट्री में कदम रखा। 2003 यह देश की पहली कंपनी बनी, जिसका राजस्व 1 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। एक साल बाद यह शेयर बाजार में लिस्ट हुई। यहां भी कंपनी के शेयरों को निवेशकों का जबरदस्त प्रतिसाद मिला। 
 
न्यूयॉर्क एक्सचेंज में टाटा मोटर्स : 2004 में टाटा मोटर्स की लिस्टिंग न्यूयॉर्क एक्सचेंज में हो गई। इसके बाद दुनिया भर में टाटा मोटर्स की प्रतिष्‍ठा तेजी से बढ़ी। कंपनी ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। 
 
नैनो का अनावरण : 2008 में टाटा मोटर्स ने देश की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो लांच की। इसके माध्यम से रतन टाटा ने लोगों को महज 1 लाख रुपए में कार उपलब्ध कराई। भले ही टाटा की यह कार ज्यादा सफल नहीं रही लेकिन उसने कार बाजार में लोगों को आकर्षण को बढ़ा दिया और आज बड़ी संख्या में लोगों के पास कार हो गई। 
 
जगुआर लैंडरोवर : 2008 में टाटा ने ब्रिटेन की सबसे बड़ी कार कंपनी निर्माता कंपनी जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। इस डील के बाद टाटा ने लक्जरी कार मार्केट में एंट्री की और वहां भी टाटा एक बड़ा प्लेयर बन गया। जगुआर लैंड रोवर की कारों को न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में पसंद किया गया।

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