सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बायो बबल को सहने में भी भारतीय खिलाड़ी है नंबर 1

Webdunia
मंगलवार, 6 अप्रैल 2021 (20:01 IST)
कोलकाता:खिलाड़ियों के बायो-बबल (जैव-सुरक्षित माहौल) को चुनौतीपूर्ण करार देते हुए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने मंगलवार को कहा कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के क्रिकेटरों की तुलना भारतीय खिलाड़ी मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए ‘अधिक सहनशील’ हैं।
 
कोविड-19 के दौर में फिर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के शुरु होने के बाद से खिलाड़ियों को बायो-बबल में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जहां उनका जीवन होटलों और स्टेडियमों तक ही सीमित है।
 
खिलाड़ी बायो-बबल से बाहर किसी से मिल नहीं सकते, जिससे उनके लिए खुद को तरोताजा और प्रेरित रखना बेहद मुश्किल हो जाता है। भारत के मौजूदा कप्तान विराट कोहली ने भी हाल ही में कहा था कि इस स्थिति से खिलाड़ियों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
 
गांगुली ने यहां एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि विदेशी क्रिकेटरों की तुलना में हम भारतीय थोड़े अधिक सहनशील हैं। मैंने इंग्लैंड, आस्ट्रेलियाई और वेस्टइंडीज के बहुत सारे क्रिकेटरों के साथ खेला है। वे मानसिक स्वास्थ्य पर जल्दी हार मान जाते है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले छह-सात महीने से बायो-बबल में क्रिकेट हो रहा है और यह काफी मुश्किल है। होटल के कमरे से मैदान पर जाना, खेल के दबाव को संभालना और वापस कमरे में आ जाना और फिर से मैदान पर जाना , यह बिलकुल अलग तरह की जिंदगी है।’’
 
 
गांगुली ने इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे से हटने का उदाहरण दिया।ऑस्ट्रेलिया ने ‘खिलाड़ियों, सहायक कर्मचारियों और समुदाय के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम के अस्वीकार्य स्तर’ का हवाला देते हुए तीन मैचों की श्रृंखला के लिए दक्षिण अफ्रीका का दौरा रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ ऑस्ट्रेलियाई टीम को देखिये, भारत के खिलाफ श्रृंखला के बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका का दौरा करना था लेकिन उन्होंने मना कर दिया।’’
 
 
उन्होंने कहा, ‘‘ कोविड-19 का खतरा हमेशा बना रहेगा। आपको सकारात्मक रहना होगा, आपको खुद को मानसिक रूप से तैयार करन होग। हम सभी को खुद को मानसिक रूप से प्रशिक्षित करना होगा ताकि हमारे साथ अच्छा होगा। यह तैयारी पर निर्भर करता है।’’
 
भारतीय टीम के इस पूर्व कप्तान ने कहा कि 2005 में कप्तानी से हटाये जाने के बाद टीम से बाहर होना उनके करियर के लिए सबसे बड़ा झटका था। उन्होंने हालांकि इसके बाद टीम में शानदार वापसी की थी।उन्होंने कहा, ‘‘ आपको ऐसी स्थिति से निपटना होगा। यह आपकी मानसिकता के बारे में है। चाहे खेल हो या व्यवसाय या कुछ और जिंदगी का कोई भरोसा नही। अपको हर परिस्थिति का समाना करने के लिए तैयार रहना होगा।’’
 
 
सौरव ने कहा, ‘‘ जब आप पहला टेस्ट खेलते है तो खुद को दुनिया के सामने साबित करने का दबाव होता है। और लगातार अच्छा कर खुद को साबित करने के बाद जब आपका खराब दौर आता है तो लोग आप पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हटते है। यह खिलाड़ी की जिंदगी में लंबे समय तक चलता है।’’(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

INDvsNZ सीरीज के बाद इन 4 में से 2 सीनियर खिलाड़ियों हमेशा के लिए होंगे ड्रॉप

पहले 68 साल में सिर्फ 2 टेस्ट तो भारत में इस सीरीज के 10 दिनों में 3 टेस्ट मैच जीती न्यूजीलैंड

IPL को रणजी के ऊपर तरजीह देने के कारण ROKO हुए बर्बाद, सचिन गांगुली नहीं करते ऐसी गलती

श्रीलंका और भारत में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गंभीर पर उठ रहे सवाल

टेस्ट इतिहास का सबसे अनचाहा रिकॉर्ड बनने पर रोहित शर्मा बोले यह सबसे खराब दौर

सभी देखें

नवीनतम

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मोहम्मद शमी पर होंगी नजरें

Perth Test : बल्लेबाजों के फ्लॉप शो के बाद बुमराह ने भारत को मैच में लौटाया

PR श्रीजेश के मार्गदर्शन में भारतीय टीम जूनियर एशिया कप के लिए ओमान रवाना

IND vs AUS : एक दिन में गिरे 17 विकेट, बुमराह के सामने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज हुए ढेर

सहवाग के बेटे आर्यवीर कूच बिहार ट्रॉफी में तिहरे शतक से सिर्फ 3 रन से चुके

अगला लेख