Team india के उप कप्तान अजिंक्य रहाणे ने दिया 'गुरुमंत्र'

Webdunia
मंगलवार, 12 नवंबर 2019 (18:47 IST)
इंदौर। बांग्लादेश के खिलाफ 14 नवम्बर से शुरू होने वाले पहले टेस्ट के लिए इंदौर पहुंचे भारतीय क्रिकेट टीम के उप कप्तान अजिंक्य रहाणे ने पिंक बॉल का सामना करने वाले बल्लेबाजों को गुरुमंत्र दिया है। हालांकि इंदौर टेस्ट लाल गेंद से ही खेला जाएगा जबकि कोलकाता में 22 नवम्बर से देश का पहला ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट मैच गुलाबी गेंद से ईडन गार्डन पर खेला जाना है।
 
रहाणे ने कहा कि गुलाबी गेंद से बांग्लादेश के विरुद्ध मुकाबला बिलकुल अलग ढंग से होगा। उन्होंने गुरुमंत्र देते हुए कहा कि भारतीय बल्लेबाजों को लाल गेंद की तुलना में इसे शरीर के थोड़ा करीब और थोड़ा रुककर खेलना होगा।
 
भारतीय क्रिकेट टीम के टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा, मयंक अग्रवाल, मोहम्मद शमी और रविंद्र जडेजा के साथ अजिंक्य रहाणे ने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) के निदेशक राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में गुलाबी गेंद के साथ अभ्यास सत्र में हिस्सा लिया था।
 
रहाणे ने कहा कि  राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हमने दो अभ्यास सत्र में हिस्सा लिया, वास्तव में 4 लेकिन इसमें दो गुलाबी गेंद से थे (एक दिन और एक दूधिया रोशनी में)। वास्तव में यह हमारे लिए बेहद रोमाचंकारी रहा।
उन्होंने कहा, मैं गुलाबी गेंद से पहली बार खेला था और निश्चित रूप से लाल गेंद की तुलना में यह अलग तरह का मैच था। हमारा ध्यान ‘स्विंग और सीम मूवमेंट’ पर लगा था और साथ ही हम अपने शरीर के करीब खेलने पर ध्यान लगाए थे। शुरूआती सत्र के बाद रहाणे को महसूस हुआ कि बल्लेबाजों को अपनी तकनीक में जरा सा बदलाव करना होगा।
 
उन्होंने कहा, हमने अभ्यास सत्र के बाद पाया कि लाल गेंद की तुलना में गुलाबी गेंद ज्यादा मुश्किल है। आपको थोड़ा रुककर और शरीर के करीब खेलना होता है। हमने राहुल भाई से बात की थी क्योंकि वह भी वहां थे। गुलाबी गेंद के साथ दुलीप ट्रॉफी के दो सत्र के दौरान शिकायतें आई थीं कि स्पिनरों को थोड़ी परेशानी हो रही थी।
 
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वे दुलीप ट्रॉफी में कूकाबूरा गेंद (Kookaburra ball) से खेले थे, जो बहुत अलग चीज है। एसजी गेंद (SG ball) से मुझे इतना पता नहीं है। हम बेंगलुरु में स्पिनरों के खिलाफ खेले थे और हमें गेंद से अच्छा घुमाव मिल रहा था। हां, लाल गेंद की तुलना में चमक पूरी तरह से अलग होती है लेकिन इसकी तुलना एसजी गेंद और कूकाबूरा गेंद से करना बहुत मुश्किल है।

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