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भारतीय क्रिकेट के 'धूमकेतु' यशस्वी जायसवाल ने खाली पेट रात गुजारी और बेचे थे गोलगप्पे

हमें फॉलो करें भारतीय क्रिकेट के 'धूमकेतु' यशस्वी जायसवाल ने खाली पेट रात गुजारी और बेचे थे गोलगप्पे

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 16 अक्टूबर 2019 (18:55 IST)
बेंगलुरु। विजय हजारे ट्रॉफी 'ए' ग्रेड क्रिकेट में झारखंड के खिलाफ दोहरा शतक (203) जमाकर सुर्खियों बटोरने वाले मुंबई के 17 बरस के यशस्वी के चर्चे पूरी क्रिकेट बिरादरी में भले ही आज हो रहे हों लेकिन यह भी सच है कि 17 साल के इस युवा क्रिकेट ने मुंबई में भूखे पेट रात गुजारी और गोल गप्पे तक बेचे ताकि अपने क्रिकेट जुनून को पूरा कर सके। 
 
भारतीय टीम में खेलने का सपना लेकर मुंबई आए : यशस्वी जायसवाल का मूल रूप से भदोही (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं। पिता की छोटी सी दुकान है, जिससे बमुश्किल परिवार का गुजारा हो पाता है। जब यशस्वी की उम्र केवल 11 बरस की थी, तब मुंबई में रहने वाले चाचा के पास आ गए ताकि एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने के सपने को साकार कर सके।
 
चाचा के घर में नहीं मिला आसरा : यशस्वी मुंबई आ चुका था और दिल में एक ही सपना था कि एक दिन वह भी भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। मुंबई में चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वहां 11 साल के बच्चे को सोने की जगह मिल सके। अब उसका नया आशियाना बना काल्बादेवी डेयरी, जहां वह काम भी करता और क्रिकेट खेलने के बाद सो जाया करता था। एक दिन उसे डेयरी से भी इसलिए भगा दिया क्योंकि क्रिकेट खेलने के बाद वह थक जाने की वजह से सो जाया करता था।
 
टेंट में रहने की मिली इजाजत : यशस्वी के चाचा ने अपने भतीजे के क्रिकेट के शौक को देखते हुए मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से गुजारिश करके उसे टेंट में रहने की इजाजत दिलवा दी। यशस्वी आजाद मैदान ग्राउंड पर ग्राउंड्समैन के साथ ही रहने लगा और अपने सपने को आकार देने की शुरुआत करने लगा। तीन साल तक क्रिकेट मैदान पर रहने के कारण यशस्वी का क्रिकेट जुनून शबाब पर आने लगा। 
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घरवालों को पता नहीं था कि किस हाल में उनका लाल : यशस्वी ने पूरे तीन साल टेंट में गुजारे और उसके परिवार वाले नहीं जानते थे कि उनका लाल मुंबई में कैसी जिंदगी बसर कर रहा है। यदि पता लग जाता तो वे उसे वापस भदोही ले जाते और बीच में क्रिकेटर बनने का सपना दम तोड़ देता। 
 
सपने को पूरा करने के लिए गोल गप्पे बेचे : मुंबई में जिंदगी आसान नहीं होती। क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए यशस्वी ने गोल गप्पे बेचे लेकिन इस जद्दोजहद के बाद भी कई रातें उसने भूखे पेट गुजारी। वे आजाद मैदान के बाहर अपने चाचा की रेहड़ी पर गोल गप्पे बेचते थे। एक इंटरव्यू में यशस्वी ने बताया था कि रामलीला के वक्त मेरी गोल गप्पे से अच्छी कमाई हो जाया करती थी। मुझे उस वक्त बहुत शर्म आती थी, जब कोई क्रिकेटर गोल गप्पे की रेहड़ी पर आ जाता था।
 
घर की याद आने पर फूटती थी रुलाई : यशस्वी के अनुसार संघर्ष के उन दिनों में घर की बहुत याद आती थी। जिंदगी की जद्दोजहद और क्रिकेट के जुनून में दिन कब रात में बदल जाता, पता ही नहीं चलता था लेकिन जैसे ही रात आती, नींद मुझसे और मैं नींद से कोसों दूर चला जाता था। रात में घर की खूब याद आती और मेरी रुलाई फूट पड़ती और सारी रात रोता रहता था।
 
टेंट में लाइट तक नहीं होती थी : मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में आलम यह रहता था कि मुझे खुद खाना पकाना पड़ता था। मैं खुद ही रोटी बनाता और खाता था। यहां तक कि टेंट में लाइट तक नहीं थी लिहाजा केंडल लाइट डिनर होता था। मैं यह भी देखता था कि दूसरे बच्चे घर से खाना लाते हैं लेकिन मेरी हिम्मत नहीं होती थी कि उनसे कुछ मांग सकूं।
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ज्वाला सिंह ने प्रतिभा को पहचाना : आजाद मैदान में क्रिकेट खेलने वाला हरेक शख्स जानता था कि यशस्वी जायसवाल नाम के इस बाल क्रिकेटर ने कितनी मेहनत की है और उसे मदद की सख्त जरूरत है। सबसे पहले ज्वाला सिंह ने उसकी प्रतिभा को पहचाना। ज्वाला भी उत्तर प्रदेश से छोटी सी उम्र में मुंबई आए थे,‍ लिहाजा उन्हें यशस्वी में अपना बचपन नजर आया। 11-12 साल की उम्र में उन्हीं की कोचिंग में यशस्वी का खेल निखरता चला गया। 
 
अंडर-14 में खिलाने के लिए वेंगसरकर इंग्लैंड ले गए : यशस्वी के हुनर को पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने भी पहचाना और वे उसे अंडर-14 में खिलाने के लिए इंग्लैंड ले गए। इंग्लैंड में यशस्वी ने दोहरा शतक लगाकार 10 हजार पाउंड का इनाम भी जीता 

मुंबई अंडर-19 में मिला मौका : मुंबई क्रिकेट टीम के अंडर-19 के कोच सतीश सामंत ने जब यशस्वी जायसवाल के क्रिकेट जुनून को देखा तो दंग रह गए। उन्होंने इस युवा क्रिकेटर को मौका देने का फैसला क्योंकि उसमें क्रिकेट समझ गजब की थी।
 
6 साल के बाद पहनी भारतीय टीम की जर्सी : यशस्वी जायसवाल महज 11 साल की उम्र में मुंबई आया था और 6 साल के कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार वह दिन भी आया, जब उसने 17 साल की उम्र में भारतीय टीम की जर्सी पहनने का न केवल सम्मान पाया, बल्कि अपने सपने को पूरा होते हुए देखा। श्रीलंका दौरे के लिए चुनी गई भारत की 'ए' टीम में यशस्वी को शामिल किया गया था।
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भारत को रिकॉर्ड छठी बार दिलाया एशिया कप : यशस्वी जायसवाल ने भारत की ए टीम के साथ श्रीलंका टूर में अपने चयन को सार्थक किया और भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम को रिकॉर्ड छठी बार एशिया कप दिलाया। फाइनल में भारत ने श्रीलंका को 144 रनों से रौंदा था।
 
एशिया कप में सबसे ज्यादा रन यशस्वी के नाम : एशिया कप में यशस्वी ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और बतौर ओपनर टूर्नामेंट के 3 मैचों में सबसे ज्यादा 214 रन बनाए। फाइनल में उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' के पुरस्कार से भी नवाजा गया।

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