अगर आपके पास एक घंटे की हवाई यात्रा और दस घंटे की रेल यात्रा में से एक को चुनने का विकल्प हो तो आप किसे चुनेंगे? खास कर तब जब प्लेन का टिकट ट्रेन के टिकट से सस्ता हो।
पिछले एक दशक में प्लेन के टिकट के दाम काफी सस्ते हुए हैं। नतीजतन ज्यादा से ज्यादा लोग हवाई यात्रा करने लगे हैं। लेकिन सफर पर निकलने से पहले कौन सोचता है कि इसका पर्यावरण पर क्या असर होगा। टिकट पर भले ही प्लेन के कार्बन उत्सर्जन और कार्बन फुटप्रिंट की व्याख्या दी हो लेकिन उसे पढ़ने, समझने की फुर्सत किसके पास होती है।
ऐसे में बर्लिन की एक कंपनी ने एक बढ़िया तरकीब निकाली है। वाइबरविर्टशाफ्ट नाम की कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए एक ऐसी पॉलिसी निकाली है कि यदि वे एक साल तक एक भी हवाई यात्रा नहीं करते हैं, तो उन्हें तीन दिन की अतिरिक्त छुट्टी मिल सकती है। जर्मनी में आम तौर पर साल में 30 छुट्टियां मिलती हैं। इस लिहाज से कंपनी छुट्टी की संख्या में दस फीसदी का इजाफा कर रही है।
कंपनी की सीईओ कात्या फॉन डेय बेय ने इस बारे में समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हर कोई जानता है कि हवाई यात्राएं पर्यावरण की जान ले रही हैं।" उन्होंने खुद हवाई यात्रा करना छोड़ दिया है और अब जब भी कहीं छुट्टी बिताने जाती हैं तो ट्रेन का ही सहारा लेती हैं। हालांकि वे मानती हैं कि इसमें धन और समय दोनों ही ज्यादा खर्च होते हैं।
बर्लिन की यह कंपनी एक स्टार्टअप है और यहां केवल 10 महिलाएं ही काम करती हैं। ऐसे में सीईओ का कहना है कि इस पॉलिसी को एक प्रतीक के रूप में लेना चाहिए क्योंकि इतने कम कर्मचारियों में वे पर्यावरण को बहुत ज्यादा फायदा तो नहीं पहुंचा सकेंगी, "पर शायद यह एक सीख बन जाए और बाकी की कंपनियां भी इस आइडिया को इस्तेमाल करने लगें।"