बदलाव की बयार : पहली बार सुप्रीम कोर्ट में बधिर वकील ने की जिरह

DW
मंगलवार, 26 सितम्बर 2023 (17:04 IST)
-चारु कार्तिकेय
 
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार एक बधिर वकील को अदालत में जिरह करने की इजाजत दी है। इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालतों को सबके लिए सुलभ बनाने के प्रयासों में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। जानिए कैसे हुआ यह मुमकिन?
 
सारा सन्नी को भारत की पहली पंजीकृत बधिर अधिवक्ता के रूप में जाना जाता है। अब वे सुप्रीम कोर्ट में जिरह करने वाली भारत की पहली बधिर वकील भी बन गई हैं। सन्नी ने हाल ही में विकलांग लोगों के अधिकारों से जुड़े एक मामले में अपनी दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सामने रखीं। सुनवाई कर रहे जज भी अपनी अपनी बात सारा तक पहुंचा पाए।
 
यह सब संकेत भाषा अनुवादक के जरिये मुमकिन हो पाया। शुक्रवार 22 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सामने जावेद अबीदी फाउंडेशन नाम के एक संस्थान द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संचिता आइन के अनुरोध पर पीठ ने सन्नी की मदद के लिए संकेत भाषा अनुवादक सौरव रॉयचौधरी को ऑनलाइन सुनवाई में भाग लेने की इजाजत दी।
 
कैसे हुआ मुमकिन?
 
उसके बाद रॉयचौधरी ने संकेत भाषा के जरिये सन्नी की सारी दलीलें जजों को बताईं और जजों की सारी टिप्पणियां और आदेश सन्नी तक पहुंचाईं। यही नहीं, इस मामले के उस दिन की अदालती कार्रवाई में 37 नंबर पर सूचीबद्ध होने के बावजूद अदालत ने सन्नी और रॉयचौधरी को पूरे दिन की कार्रवाई देखने की इजाजत दे दी। रॉयचौधरी ने दूसरे मामलों में भी पीठ द्वारा दी गई टिप्पणियों और आदेशों का सन्नी के लिए अनुवाद किया।
 
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रॉयचौधरी के हुनर से प्रभावित होकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी तारीफ की और पीठ से कहा कि जज जिस रफ्तार से बोल रहे हैं, रॉयचौधरी उसी रफ्तार से अनुवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह 'वाकई अद्भुत' है।
 
सन्नी की उपलब्धि ने भारतीय न्याय व्यवस्था की एक बड़ी चुनौती को रेखांकित किया है। न्यायिक व्यवस्था देश के हर नागरिक के लिए है लेकिन मूक-बधिर और अन्य रूप से विकलांग लोग कानून तक कैसे पहुंचें, यह हमेशा से एक चुनौती रही है। आजादी के 74 सालों बाद 2021 में सन्नी का देश की पहली बधिर अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण करवाना अपने आप में इस चुनौती का सबूत है।
 
कानून को सुलभ बनाना
 
माना जाता है कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस विषय को लेकर विशेष रूप से सक्रिय हैं। उन्होंने कई बार न्याय तक पहुंच को सबके लिए सुलभ बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने 2022 में सुप्रीम कोर्ट परिसर का एक विस्तृत एक्सेसिबिलिटी ऑडिट भी करवाया था ताकि अदालत आने पर विकलांग लोगों द्वारा महसूस की गईं सभी चुनौतियों का पता लगाया जा सके।
 
लेकिन सन्नी का उदाहरण व्यवस्था के खुद को सुधारने से ज्यादा एक व्यक्ति के जीवट, आत्मविश्वास और सभी बाधाओं को लांघने के निश्चय की कहानी है। सन्नी केरल के कोट्टायम की रहने वाली हैं। उनकी जुड़वां बहन मरिया और बड़े भाई प्रतीक भी बधिर हैं। लेकिन तीनों के माता-पिता सन्नी और बेटी ने तीनों बच्चों की उनके सपने पूरे करने में पूरी मदद की।
 
शुरुआती चुनौतियों के बाद सन्नी को सेंट जोसफ लॉ कॉलेज में दाखिला मिल गया, जहां से उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। फरवरी 2021 में डिग्री हासिल करने के बाद वह कर्नाटक बार काउंसिल की सदस्य बन गईं। आज वह कई अदालतों में जिरह कर रही हैं।

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