ट्रंप की जीत पर क्या बोले अरब देशों के लोग

Webdunia
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर सबसे ज्यादा नजरें मुस्लिम देशों की टिकी थीं। इसकी एक बड़ी वजह चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमानों के खिलाफ ट्रंप की टिप्पणियां हैं।
सबसे घनी आबादी वाले अरब देश मिस्र की राजधानी काहिरा में नाई की दुकान पर बैठे लोगों से जब पूछा गया कि वो ट्रंप की जीत पर क्या कहेंगे, तो वो एक दूसरे का मुंह ताकते नजर आए। दो लोगों ने कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं है कि अमेरिका में कौन कौन चुनावी मैदान में है। वहीं हेयर ड्रेसर मोना ने अपने देश में चल रहे आर्थिक संकट की तरफ इशारा करते हुए कहा, "जो यहां हो रहा है, हमारी नजर उस पर रहती है, हमारे लिए तो यही काफी है।"
 
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसे अमेरिकी चुनाव के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन इतना पता है कि "ट्रंप मुसलमानों के लिए ठीक नहीं हैं"। इसी तरह शहर के चिड़ियाघर के पास मिले तीन यूनिवर्सिटी छात्र शर्माते हुए कहते हैं कि उन्हें भी अमेरिकी चुनाव के बारे में ज्यादा नहीं पता। काहिरा ही वो शहर है जहां आठ साल पहले चुनाव जीतने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबमा ने अहम भाषण देते हुए मुसलमानों के प्रति अमेरिकी रवैये में बदलाव पर जोर दिया।
 
वहीं, कतर में रहने वाले लीबियाई मूल के एक अमेरिकी लेखक हेंद एमरी कहते हैं, "मुझे लगता है कि अरब दुनिया खुद अपने अस्तित्व के संकट के जूझ रही है। यहां लोगों के पास ये सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं है कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों का उन पर क्या फर्क पड़ेगा।"
 
लेकिन बगदाद के एक कैफे में लोग अमेरिकी चुनाव नतीजों पर गहरी नजर रखे हुए थे। वहां मौजूद 27 वर्षीय हैदर हसन बगदाद की तबाही के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को जिम्मेदार मानते हैं जिन्होंने 2003 में इराक पर हमले का आदेश दिया था। फिर भी हसन ट्रंप के समर्थक हैं। वह कहते हैं, "रिपब्लिकन शासन में इराक ने जो मुश्किलें झेली हैं, उनके बावजूद मैं ट्रप का समर्थन करता हूं, आतंकवाद के खिलाफ ट्रंप का सख्त रुख मुझे पसंद है।"
 
लेकिन इसी कैफे में बैठे मुस्तफा अल रुबैई की राय उनसे अलग है। वो कहते हैं कि डेमोक्रैट्स कहीं ज्यादा समझदार हैं। डेमोक्रैट राष्ट्रपति ओबामा ने ही इराक से सेना हटाने का फैसला किया है। यूएई में रहने वाले विश्लेषक अब्देल खालिद अब्दुल्लाह कहते हैं कि खाड़ी देशों में ट्रंप के मुकाबले क्लिंटन को ज्यादा समर्थन हासिल था। उनके मुताबिक, "क्लिंटन को इस क्षेत्र के मुद्दों की जानकारी थी।"

हालांकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को ईरान के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने की ओबामा की नीति बिल्कुल पसंद नहीं आई। सऊदी लेखक जमाल खाशोगी कहते हैं कि क्लिंटन सऊदी अरब को लेकर कहीं स्पष्ट रुख रखती थीं लेकिन ट्रंप के बारे में कुछ कह ही नहीं सकते कि वो क्या कब क्या करेंगे?
 
- एके/वीके (एएफपी) 
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