दक्षिण एशिया में बाढ़: ईयू ने बढ़ाया मदद का हाथ

DW
बुधवार, 12 अगस्त 2020 (16:22 IST)
रिपोर्ट आमिर अंसारी
 
यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह दक्षिण एशिया में बाढ़ प्रभावितों की मानवीय आधार पर मदद के लिए 16.5 लाख यूरो देगा। भारत, नेपाल और बांग्लादेश में भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।
 
भारत, बांग्लादेश और नेपाल में बाढ़ के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए और गांव के गांव जलमग्न हो गए हैं। दक्षिण एशिया में बाढ़ और उससे जुड़ीं घटनाओं में सैकड़ों लोगों की अब तक जान जा चुकी है। मंगलवार को यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 16.5 लाख यूरो देगा। यह आपदा राशि बांग्लादेश, भारत और नेपाल को बाढ़ के हालात से निपटने में मदद करेगी। कुल राशि में से 5 लाख यूरो का इस्तेमाल भारत में खाद्य, आजीविका सहायता, आपातकालीन राहत आपूर्ति, स्वच्छ पानी और स्वच्छता सेवाएं पीड़ित लोगों तक पहुंचाने के लिए होगा। ईयू ने इस साल की शुरुआत में ही आपदा राहत की घोषणा की थी तथा 10.8 लाख यूरो अम्फान तूफान के बाद मदद के लिए दिए गए थे। अम्फान चक्रवात के कारण भारत और बांग्लादेश में भारी तबाही हुई थी।
 
10 लाख यूरो की मदद बांग्लादेश को दी जाएगी, जहां 20 लाख लोगों को तत्काल सहायता की जरूरत है। बाढ़ के कारण बांग्लादेश में 8,50,000 लोग विस्थापित हो गए हैं और लगातार बारिश के कारण यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। नेपाल में ईयू की तरफ से सहायता राशि जिसमें 1,50,000 यूरो है, का इस्तेमाल पीने का पानी, स्वच्छता, आश्रय और घर में इस्तेमाल होने वाली जरूरी चीजों के लिए होगा। नेपाल में भारी बारिश के कारण पिछले दिनों भूस्खलन से हजारों लोग बेघर हो गए।
 
ईयू के एशिया और प्रशांत क्षेत्र में मानवीय कार्यक्रमों की निगरानी करने वाले ताहीनी थम्मनगोडा के मुताबिक पूरे दक्षिण एशिया में इस साल मानसून की बारिश विनाशकारी है और यह फौरी सहायता मानवीय मदद पहुंचाने वाले साझेदारों को जमीनी स्तर पर उन लोगों को अहम मदद मुहैया करने में सहारा देगी, जो बेघर हो गए हैं और जिनकी आजीविका के स्रोत बंद हो गए हैं। ईयू के मुताबिक दक्षिण एशिया में जून महीने से मानसून की शुरुआत के साथ ही बाढ़ और भूस्खलन हुए जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और लाखों लोग प्रभावित हुए। ईयू का कहना है कि कोविड-19 के बीच स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं होने के कारण अन्य बीमारियों के फैलने का खतरा अधिक बढ़ गया है।
भारत में असम, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के कुछ जिले बाढ़ की चपेट में आ गए। भारत में सबसे ज्यादा प्रभावित असम है, जहां कोरोनावायरस के साथ-साथ लोगों को बाढ़ से भी जूझना पड़ रहा है। असम में मंगलवार, 11 अगस्त को बाढ़ के हालात थोड़े और बिगड़ गए और राज्य के 3 जिलों में 14,000 लोग अब भी बाढ़ से जूझ रहे हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की दैनिक बाढ़ रिपोर्ट के मुताबिक धेमाजी, बकसा और मोरीगांव जिलों में बाढ़ के कारण 13,800 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। असम में इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक 136 लोगों की मौत हो चुकी है। मौजूदा समय में 89 गांव पानी में डूबे हुए हैं और 5,984 हैक्टेयर की फसल चौपट हो गई है।
 
बिहार में बाढ़ से 74 लाख लोग प्रभावित
 
बिहार में भले ही अभी कुछ नदियों के जलस्तर में पहले के मुकाबले कमी आई है, लेकिन अभी भी राज्य के 16 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य में अभी भी कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं, वहीं राज्य के 16 जिलों के 126 प्रखंडों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। बाढ़ की वजह से अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है। नीतीश कुमार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बाढ़ प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में राज्य की समस्याएं बता चुके हैं। राज्य की कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला, बलान और गंगा कई इलाकों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
 
बिहार आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू के मुताबिक राज्य के 16 जिलों के कुल 126 प्रखंडों की 1,240 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुईं हैं। इन क्षेत्रों में करीब 74 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

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