इंफोसिस की निंदा के बाद पाञ्चजन्य से ही खुद को दूर किया आरएसएस ने

DW
मंगलवार, 7 सितम्बर 2021 (09:28 IST)
पहले 'पाञ्चजन्य' ने इंफोसिस को 'देश विरोधी' ताकतों का जरिया बताया और अब आरएसएस ने खुद को पत्रिका से ही दूर कर लिया है। दीनदयाल उपाध्याय को प्रेरणा स्त्रोत माने वाली पत्रिका से क्या संघ को अलग किया जा सकता है?
 
'पाञ्चजन्य' के अगस्त 2021 के अंक में छपे एक लेख में सरकारी वेबसाइटों को ठीक से ना चला पाने के लिए भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस को देश विरोधी ताकतों का जरिया बता दिया गया।
 
पत्रकार चंद्र प्रकाश द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया, "कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई देशविरोधी शक्ति इंफोसिस के माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाने में जुटी है?" लेखक ने यह भी कहा की उनके "पास यह कहने के कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं, किंतु कंपनी के इतिहास और परिस्थितियों को देखते हुए इस आरोप में कुछ तथ्य दिखाई दे रहे हैं।"
 
इंफोसिस पर आरोप
कंपनी की जिन गतिविधियों पर लेखक ने संदेह व्यक्त किया उनमें 'द वायर', 'आल्ट न्यूज' और 'स्क्रॉल' जैसी वेबसाइटों को पैसे देना शामिल है। कंपनी के मालिकों को कांग्रेसी और 'वर्तमान सत्ताधारी विचारधारा' का विरोधी बताया गया है।
 
साथ ही यह आरोप भी लगाया गया है कि कंपनी "अपने महत्वपूर्ण पदों पर विशेष रूप से एक विचारधारा विशेष के लोगों को बिठाती है", जिनमें "अधिकांश बंगाल के मार्क्सवादी हैं।"
 
दो आरोप और लगाए गए हैं। पहला यह कि इंफोसिस "अराजकता' पैदा करना चाहती है, "ताकि सरकारी ठेके स्वदेशी कंपनियों को ही देने की नीति बदलनी पड़े।" दूसरा, कंपनी भारतीय करदाताओं का डाटा चोरी करना चाहती है।
 
'पाञ्चजन्य' को हमेशा से आरएसएस के मुखपत्र के रूप में जाना जाता रहा है, इसलिए इस लेख को इंफोसिस पर संघ के ही हमले की तरह देखा गया। कंपनी के बचाव में जिन लोगों ने खुल कर बयान दिए उनमें कंपनी के पूर्व निदेशक मोहनदास पाई भी शामिल हैं।
 
आरएसएस और पाञ्चजन्य 
एनडीए सरकार के मुखर समर्थकों के रूप में जाने जाने वाले पाई ने ट्विट्टर पर इस लेख के लेखक को "पागल" बताया और उनकी सोच को "कॉन्सपिरेसी थियरी" बताया।
 
 
हालांकि पत्रिका के सम्पादक हितेश शंकर ने लेख का समर्थन किया और पत्रिका के संघ से संबंध के बारे में बस इतना कहा कि यह लेख इंफोसिस के बारे में है, ना की संघ के बारे में।
 
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

अगला लेख