भाजपा में बागी बोल, शिवराज और नरेन्द्रसिंह तोमर को कहा तथाकथित नेता

मुस्तफा हुसैन
इस समय जब लोकसभा चुनाव का आगाज़ हो चला है। ऐसे समय में मालवा भाजपा के लिए पार्टी में अंदरूनी खींचतान का बड़ा अखाड़ा बना हुआ है। यहां दो धाराएं साफ़ दिखाई दे रही हैं। एक तो शिवराजसिंह चौहान के लायलिस्ट तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जो इस समय एमपी में फ्रंट फुट पर खेलते दिखाई दे रहे हैं। 
 
कैलाश विजयवर्गीय को मालवा में ताकत इसलिए मिल रही है की भाजपा के कद्दावर नेता रघुनंदन शर्मा ने शिवराज के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। उन्होंने शुक्रवार को ख़ास बातचीत में शिवराज और नरेंद्रसिंह तोमर को तथाकथित नेता कहा और दूसरे बड़े नेता प्रदेश भाजपा महामंत्री बंशीलाल गुर्जर की इन दिनों विजयवर्गीय से नज़दीकिया दिखाई दे रही हैं। 
 
पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान 10 मार्च को नीमच-मंदसौर के दौरे पर आए तो उन्होंने कहा कि तेज धूप में आपका जो पसीना बह रहा है, उसकी एक-एक बूंद का कर्ज़ा में आपकी सेवा कर के चुकाऊंगा, लेकिन तालियां उतनी नहीं बजीं, जादू सिर चढ़कर नहीं बोला, जबकि नीमच-मंदसौर का यह इलाका आज की तारीख में भाजपा का अभेद्य गढ़ है।
 
इस संसदीय सीट की आठ सीटों में से सात पर भाजपा का कब्जा और जिस एकमात्र सुवासरा सीट पर कांग्रेस जीती है वो भी मात्र 300 वोटों से, 
 
लेकिन इस गढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार शिवराज के आगमन पर झांकी-मंडप वैसा नहीं दिखा जैसा होना चाहिए। पूर्व सीएम ने प्रमुख रूप से नीमच के सरवानिया महाराज और मंदसौर के नगरी में विजय संकल्प सम्मेलन को संबोधित किया, लेकिन रास्ते में वे कई जगह रुके। इस दौरान देखने वाली बात यह थी की सिटिंग विधायकों को उनकी आगवानी में जो ताकत झोंकनी थी, वह नहीं झोंक पाए, न ही विधायकों ने साधन संसाधन जुटाए।
 
इससे यह तो साफ़ हो गया कि शिवराज सीएम रहते जब आते थे तब प्रशासनिक मशीनरी सब इंतज़ाम कर देती थी और श्रेय विधायकों को मिल जाता था। 
 
दूसरी ख़ास बात इस विजय संकल्प सम्मलेन में कैलाश विजयवर्गीय का आना अचानक हुआ। क्योंकि जो नाम पूर्व में घोषित थे, उनमें कैलाश का नाम नहीं था। कार्यक्रम की रात को खबर आई कि वे भी आएंगे और जब वे आए तो प्रदेश भाजपा महामंत्री पूरे समय उनके साथ दिखे। वे नीमच हैलीपेड पर भी शिवराज के स्वागत के लिए नहीं आए।
 
गौरतलब है कि बंशीलाल गुर्जर मालवा में खासा दम रखते हैं और पिछले 40 साल से पार्टी का जमीन पर काम कर रहे हैं और पिछले कई साल से विधानसभा और लोकसभा का टिकट दमदारी से मांग रहे है, जमीन भी मजबूत है, लेकिन उन्हें उम्मीदवारी नहीं मिली क्योंकि शिवराज पॉवर में थे, वे आड़े आ गए। इसीलिए जब गुर्जर को शिवराज ने किसान आयोग का अध्यक्ष बनाया तो उन्होंने नाराज़गी दिखाई और पद स्वीकार नहीं किया
 
 
यदि पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा की बात करें तो वे मूलत: नीमच-मंदसौर से ही हैं और लोकसभा उम्मीदवारी में एक वजनदार नाम हैं क्योंकि इस संसदीय सीट पर करीब ढाई लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। उसी का परिणाम है कि पार्टी ने वर्षों स्व. लक्ष्मीनारायण पांडेय को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस राहुल की करीबी मीनाक्षी नटराजन को यहां चुनाव लड़ाने लाई।
 
 
 
रघुजी इन दिनों गुस्से में हैं। जब उनसे बात की तो बोले पिछले लोकसभा में मैंने टिकट के लिए बोला तो मुझे अनदेखा किया गया, जिससे मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं। ऐसा अपमान जिसे आज तक नहीं भूला हूं और उसी दिन निर्णय लिया था कि अब कभी टिकट मांगने नहीं जाऊंगा। वे बोले कि 14 साल की उम्र से पार्टी में सक्रिय रहा, संगठन में कई पदों पर रहा, विधायक रहा। मैंने नीमच-मंदसौर का एक-एक गांव देखा है।
 
उन्होंने कहा कि तथाकथित नेता शिवराजसिंह और नरेंद्रसिंह तोमर मेरे कनिष्ठ हैं। मैं नेता बनाने वाला आदमी रहा हूं। 
 
लोकसभा चुनाव के ऐन पहले कद्दावर भाजपा नेता शर्मा के जो बोल-बचन हैं, वो मालवा में पार्टी के भीतर मचे घमासान को बताने के लिए काफी हैं। वहीं दूसरी तरफ वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता हैं। उन्हें संघ का व्यक्ति माना जाता है।
 
जानकार बताते है इस बार संसदीय सीट के सात विधायकों में से अंदर खाने 6 विधायक सुधीरजी के हक़ में नहीं बोल रहे हैं, जबकि सांसद गुप्ता कहते हैं कि वे ही चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि उन्होंने पांच साल में विकास के इतने काम किए जो जो पहले कभी नहीं हुए। कुल मिलाकर कांग्रेस जहां राहुल की करीबी मीनाक्षी नटराजन पर दांव लगाने का मन बना चुकी है, वहीं भाजपा में अंदर खाने कोहराम मचा है। 
 

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