कांग्रेस की 5 कमजोरियां, जो लोकसभा चुनाव 2019 में बढ़ा सकती हैं उसकी मुश्किलें

Webdunia
लोकसभा चुनाव 2019 कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए खास है। 2014 में कांग्रेस की स्थिति बेहद दयनीय हो गई थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। हालांकि लोकसभा के बाद हुए उपचुनाव और कुछ राज्यों में कांग्रेस की सत्ता वापसी से उसे थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव में ये कमजोरियां बढ़ा सकती हैं कांग्रेस की मुश्किलें-
 
1. मोदी की टक्कर के नेता नहीं : राहुल निश्चित ही समय के साथ परिपक्व हुए हैं, लेकिन मोदी के मुकाबले अभी उनका कद छोटा है। राजनीतिक बिसात पर राहुल की तुलना अभी भी मोदी से नहीं की जा सकती है। ऐसे में आगामी में चुनाव में यह देखना रोचक होगा कि क्या राहुल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टक्कर दे पाते हैं या नहीं।
 
2. यूपी-बिहार में कमजोर स्थिति : यूपी और बिहार जैसे राज्यों से ही केन्द्र की सत्ता तय होती है। लोकसभा 2014 के परिणामों को देखा जाए तो उत्तरप्रदेश की 80 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें ही मिली थीं और ये 2 सीटें भी अमेठी और रायबरेली की थी, जहां राहुल और सोनिया गांधी जीते थे, वहीं बिहार में भी 40 में से कांग्रेस को 2 और मप्र में 27 में से सिर्फ 2 सीटें मिली थीं। हालांकि मप्र में उपचुनाव में कांग्रेस ने एक और सीट जीती थी। गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल समेत अन्य कई राज्यों में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। उप्र में सपा-बसपा का गठबंधन भी कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ा सकता है।
 
ALSO READ: कांग्रेस की 5 बड़ी बातें, जो लोकसभा चुनाव 2019 में हो सकती हैं निर्णायक
 
3. कार्यकर्ताओं की कमी : कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, लेकिन विभिन्न राज्यों में सत्ता से दूरी के चलते आज भी पार्टी को जमीनी कार्यकर्ताओं की कमी खलती है। सेवादल जैसा संगठन भी सक्रिय नजर नहीं आता है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद राहुल गांधी ने जरूर सेवादल को सक्रिय करने का काम किया है, लेकिन भाजपा के मुकाबले देखा जाए तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रही है।
 
ALSO READ: नरेन्द्र मोदी की 5 बड़ी बातें, जो लोकसभा चुनाव में बनेंगी एनडीए की ताकत
 
4. मुद्दों की कमी : मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के पास मुद्दों की भी कमी है। नोटबंदी और जीएसटी की नाकामी का विरोध हालांकि कांग्रेस ने जरूर किया, लेकिन राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को चोर (चौकीदार चोर है) कहने का नकारात्मक असर दिखा। कांग्रेस ने एयर स्ट्राइक के सबूत मांगकर परोक्ष रूप से सेना पर ही सवाल उठा दिया। इससे मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में कांग्रेस के खिलाफ नाराजी ही बढ़ी।
 
5. विपक्ष में एकजुटता का अभाव : भाजपा और मोदी के खिलाफ विपक्षी दल भले ही महागठबंधन के साथ खड़े हो गए, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद ये कांग्रेस के साथ होंगे, ये अभी भी बड़ा सवाल है। महागठबंधन में भी बड़े नेताओं के अपने स्वार्थ हैं और हर एक को दिल्ली की कुर्सी दिखाई दे रही है। उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा ने कांग्रेस को द‍रकिनार करते हुए गठबंधन बना लिया है। बिहार में भी राजद के साथ सीटों को लेकर तनातनी बनी हुई है। (वेबदुनिया चुनाव डेस्क)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Raja Raghuvanshi murder : क्या राज की दादी को पता थे सोनम के राज, सदमे में हुई मौत, पोते को बताया था निर्दोष

जनगणना कैसे की जाती है और क्या है census का महत्व? संपूर्ण जानकारी

New FASTag Annual Pass Details : 3000 रुपए का नया FASTag, 200 ट्रिप, 7,000 की होगी बचत, 15 अगस्त से शुरुआत, नितिन गडकरी ने दी जानकारी

भारत के किस राज्य में कितनी है मुसलमानों की हिस्सेदारी, जानिए सबसे ज्यादा और सबसे कम मुस्लिम आबादी वाले राज्य

SIM Card के लिए सरकार ने बनाए नए Rules, KYC में पड़ेगी इन दस्तावेजों की जरूरत

सभी देखें

नवीनतम

भोपाल में सेवा दिवस के रूप में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मनाया राहुल गांधी का जन्मदिन

मध्‍यप्रदेश में ट्रांसफर में धांधली, नियमों के खिलाफ जाकर भेजे जा रहे ट्रांसफर लेटर, प्रदेश में बड़ी संख्‍या में कर्मचारी परेशान

अंतर्राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम दिवस पर 27 जून को रतलाम में होगा 'एमपी राइज-2025'

ईरानी धमकी के बाद अमेरिकी डूम्सडे E-4B विमान ने भरी उड़ान, परमाणु विस्फोट प्रूफ है यह अभेद्य विमान

असम में एक और राष्ट्रविरोधी गिरफ्तार, पहलगाम हमले के बाद से अब तक कुल 94 लोगों की गिरफ्तारी

अगला लेख