बनारस से प्रियंका गांधी के चुनाव नहीं लड़ने की असल वजह, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

विकास सिंह
गुरुवार, 25 अप्रैल 2019 (13:58 IST)
लोकसभा चुनाव में इस बार सियासी गलियारों में सबसे अधिक चर्चा इस बात की थी क्या गांधी परिवार की सदस्य और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी बनारस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। इस चर्चा को शुरू करने का श्रेय भी खुद प्रियंका गांधी को ही है।
 
सोनिया गांधी से ससंदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करते समय प्रियंका गांधी से जब एक कार्यकर्ता ने रायबरेली से चुनाव लड़ने की मांग की तो उन्होंने खुद कहा कि अगर बनारस से चुनाव लड़ जांऊ तो कैसा रहेगा?
 
प्रियंका के इस बयान के बाद उनके मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई। इसके बाद भी प्रियंका ने कई बार मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। अभी चंद दिनों पहले ही प्रियंका का ये कहना कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष कहेंगे तो वो बनारस से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
 
लंबे समय से चले आ रहे इन अटकलों को खत्म करते हुए कांग्रेस ने आज बनारस से अपने पुराने चेहरे अजय राय को चुनावी मैदान में उतार दिया। आखिरकार क्या वजह रही कि पार्टी प्रियंका को बनारस से चुनाव लड़ाने का फैसला नहीं कर सकी। इसके पीछे एक नहीं कई वजह सामने आती है।
 
कांग्रेस का कमजोर संगठन – बनारस से प्रियंका के चुनाव नहीं लड़ने की सबसे बड़ी वजह जो है वो सूबे में कांग्रेस का कमजोर संगठन। कांग्रेस की तुलना में भाजपा और महागठबंधन में शामिल दोनों दल सपा और बसपा का अपना मजबूत संगठन और पार्टी के कार्यकर्ताओं को एक मजबूत नेटवर्क है। ऐसे में प्रियंका गांधी अगर चुनाव लड़ती है तो उनके सामने कार्यकर्ताओं को कमी और बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं का न होना बड़ी चुनौती बन जाती।
 
अन्य सीटों पर फोकस नहीं होना – अगर प्रियंका बनारस से चुनाव लड़ती तो उनका पूरा फोकस मोदी को घेरने पर होता। ऐसे में प्रियंका जिन पर पार्टी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 सीटों को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है उस पर ध्यान नहीं दे पाती जिससे एक सीट के फेर में अन्य सीटों पर नुकसान हो सकता था।
 
प्रियंका गांधी की नजर 2022 पर – लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाली प्रियंका गांधी को कांग्रेस अपना तुरूप का इक्का मानती है। प्रियंका गांधी का पूरा फोकस पार्टी संगठन को खड़ा करने पर है। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त कहते हैं कि प्रियंका का पूरान ध्यान पार्टी को खड़ा करने और 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर है।
 
मोदी के मुकाबले स्वीकार्यता का सवाल – कांग्रेस  अगर प्रियंका गांधी को मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाने का फैसला करती तो सबसे बड़ा सवाल स्वीकार्यता का आता। मोदीजो गंगा को अपनी मां और खुद को उनका बेटा बताते है उनको बनारस में हारना प्रियंका के लिए एक तरह से नामुमकिन था। सियासी विश्लेषक भी मानते हैं कि आज मोदी का कद इतना बड़ा हो गया है कि उनको बनारस में हराना नामुकिन सा हो गया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

सभी देखें

नवीनतम

पूर्व भाजपा सांसद उदय सिंह बने जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष, प्रशांत किशोर ने किया ऐलान

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को आएंगे भोपाल, महिला सम्मेलन को करेंगे संबोधित, अहिल्याबाई पर जारी करेंगे डाक टिकट

Nagpur : 155 करोड़ की धोखाधड़ी का हुआ खुलासा, कारोबारियों ने बनाई 50-60 फर्जी कंपनियां, 4 आरोपी गिरफ्तार

अगला लेख