Aam Chunav 2024: CAA के आधार पर BJP का बंगाल में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य

भाजपा को बहुसंख्यक समुदाय के ध्रुवीकरण से लाभ होने की उम्मीद

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 27 मार्च 2024 (15:12 IST)
Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव में 35 सीटें (35 seats) जीतने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है और उसने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA)को राज्य में मुख्य मुद्दा बनाया है। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों ने भाजपा की प्रदेश इकाई में आंतरिक मतभेद, सांगठनिक कमजोरियों और वाम-कांग्रेस गठबंधन के फिर से आकार लेने का दावा करते हुए भाजपा के सामने चुनौतियों का उल्लेख किया है।

ALSO READ: चुनाव से ठीक पहले CAA लागू करके बंगाल और असम में बीजेपी को क्या लाभ होगा?

मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाएगी भाजपा : पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य में 18 सीटें जीतकर और 40 प्रतिशत मत हासिल करके शानदार प्रदर्शन किया था और इस बार के चुनाव में उसने 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। भाजपा यूं तो पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ लेना चाहती है लेकिन वह राज्य में सीएए को भी भुनाना चाहती है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह कानून भाजपा के लिए एक तरफ फायदेमंद तो दूसरी तरफ चुनौतीपूर्ण भी साबित हो सकता है।

ALSO READ: ममता के लिए सिंगूर बना था सत्ता की संजीवनी, संदेशखाली से भाजपा लिखेगी बंगाल का नया सियासी इतिहास?
 
सीएए हिन्दू समुदाय को एकजुट करेगा : उनका मानना है कि सीएए हिन्दू समुदाय को एकजुट कर सकता है, वहीं इस पर अल्पसंख्यकों की प्रतिकूल प्रतिक्रिया भी आ सकती है। पश्चिम बंगाल में भाजपा की संभावनाएं काफी हद तक वाम-कांग्रेस गठबंधन के प्रदर्शन पर भी निर्भर करती हैं जिसे राजनीतिक विश्लेषक राज्य के 42 लोकसभा क्षेत्रों में पहले से अच्छी स्थिति में देख रहे हैं।
 
भाजपा को 35 सीटों पर जीत की उम्मीद : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पार्टी को न केवल उम्मीद है बल्कि पूरा विश्वास है कि वह राज्य में 35 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी। हालांकि भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने राज्य में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की राह में सामने आने वाली कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों की ओर भी इशारा किया।

ALSO READ: बंगाल : संदेशखाली पीड़ितों की आवाज उठाने वाली BJP उम्मीदवार रेखा पात्रा को PM मोदी ने बताया 'शक्ति स्वरूपा'
 
क्या बोले पूर्व राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा? : भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने संगठन को व्यवस्थित करना है, जो 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से बिखरा पड़ा है। हमारे पास राज्य में 80,000 से अधिक बूथ पर एजेंट नियुक्त करने के लिए लोग नहीं हैं।

ALSO READ: चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई, बंगाल के DGP सहित 6 राज्यों के गृह सचिव को हटाने का आदेश
 
हाजरा के संबंध मौजूदा प्रदेश भाजपा नेतृत्व के साथ ठीकठाक नहीं माने जाते। उन्होंने दावा किया कि आंतरिक कलह और जमीनी स्तर पर समन्वय की कमी ने राज्य में मजबूती के पार्टी के प्रयासों को बाधित किया है और 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से विभिन्न पराजयों में यह दिखाई दिया है।
 
भाजपा का वोट प्रतिशत गिरा : वर्ष 2021 के बाद से पार्टी के 8 विधायक और 2 सांसद तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। इनमें से केवल 1सांसद अर्जुन सिंह ने भाजपा में वापसी की है। भाजपा ने 2019 में 40 फीसदी वोट हासिल किए थे। हालांकि 2021 के विधानसभा चुनावों में यह प्रतिशत थोड़ा गिरकर 38 प्रतिशत हो गया। 2016 में 10 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी और 3विधानसभा सीटों से बढ़कर 2021 में 77 सीटों तक पहुंचने के बावजूद वे सत्ता हासिल करने में विफल रहे।
 
भाजपा की वोट हिस्सेदारी भबानीपुर उपचुनाव के साथ शुरू हुई, जहां उसका वोट शेयर मई 2021 में 35 प्रतिशत से कम होकर उसी साल अक्टूबर में केवल 22 प्रतिशत रह गया और यही स्थिति जारी रही। भाजपा 108 अन्य निकायों के चुनाव में केवल 12.57 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी। पिछले साल के पंचायत चुनाव में वह 22 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर रही। उसे मिले मतों की हिस्सेदारी वाम-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन से 1 प्रतिशत कम रही।
 
भाजपा को ध्रुवीकरण से लाभ होने की उम्मीद : हालांकि भाजपा नेताओं को बहुसंख्यक समुदाय में ध्रुवीकरण होने से लाभ की उम्मीद है। उन्हें खासतौर पर सीएए के मुद्दे पर मतुआ बहुल क्षेत्रों में फायदा होने का विश्वास है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मजूमदार ने कहा कि सीएए भाजपा को चुनाव में राज्य में अच्छी सफलता दिलाने में मददगार होगा।
 
दूसरी तरफ भाजपा के पास तृणमूल कांग्रेस की तरह सांगठनिक क्षमता नहीं है और वह सीएए के खिलाफ राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के इस अभियान का जवाब देने में कामयाब नहीं होती दिख रही कि यह कानून नागरिकता लेने वाला है। मतुआ समुदाय के अखिल भारतीय महासंघ ने अपने सदस्यों को सलाह दी है कि केंद्र में नई सरकार बनने के बाद ही नए कानून के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें। यह भी भाजपा के लिए राह कठिन करने वाला सुझाव है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

सम्बंधित जानकारी

Show comments

PM मोदी को पसंद आया खुद का डांस, एक्स पर किया कमेंट

राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लिखा खुला पत्र, पढ़िए क्या सलाह दी

PM मोदी ने संविधान को बदलने और खत्म करने का मन बना लिया : राहुल गांधी

LG ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ की NIA जांच की सिफारिश, खालिस्तानी संगठन से पैसा लेने का आरोप

Lok Sabha Elections 2024: क्या वाकई 2 चरणों में कम हुई वोटिंग, SBI की Research रिपोर्ट में सामने आया सच

अगला लेख