राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में भी उठी कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने की मांग

विकास सिंह
गुरुवार, 20 मार्च 2025 (17:34 IST)
भोपाल। राजस्थान में भाजपा सरकार द्वारा कोचिंग सेटरों पर नकेल कसने की तैयारी के बीच अब मध्यप्रदेश में कोचिंग सेंटरों पर लगाम लगाने की मांग होने लगी है। पिछले दिनों जिस तरह से भोपाल और इंदौर में फिटजी कोचिंग सेंटर के बंद होने के बाद सैंकड़ों की संख्या में स्टूडेंट्स को परेशान होना पड़ा उसके बाद पैरेंट्स भी कोचिंग सेंटरों पर नकेल कसने  की मांग कर रहे है।  

विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कोचिंग सेटरों को लेकर राजस्थान सरकार की पहल को अच्छा बताते हुए कहा कि इस दिशा में मध्यप्रदेश को भी पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार का फैसला छात्रों और अभिभावकों के हित में है। मध्य प्रदेश के बच्चों की भी चिंता करना चाहिए। आज कोचिंग संस्थान बच्चों पर प्रेशर डालते है जिससे बच्चे तनाव में गलत कदम उठाते है। ऐसे में कोचिंग संस्थाओं और प्रतिस्पर्धा के दबाव में अगर कोई छात्र गलत कदम उठाता है तो हम सबको दुख होता है, इसलिए कोचिंग संस्थाओं के लिए कड़े नियम होने चाहिए।

फिटजी कोचिंग संस्थान में अपने बच्चों को इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए 2 लाख से अधिक फीस भरने वाले वर्षा कहती है कि सरकार को कोचिंग संस्थान के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए। वह कहती है कि उन्होंने अपने बेटे को दो साल पहले फिटजी कोचिंग में एडमिशन कराया और एडमिशन के समय ही पूरी फीस ले ली गई थी वहीं पिछले साल कोचिंग में टीचरों की कमी होने लगी और आए दिन कोचिंग को बंद किया जाने लगा। इससे उनके बच्चे की इंजीनियरिंग की तैयारी खराब हो गई है और उन्होंने बच्चे को कोचिंग भेजना ही बंद कर दिया। वह कहती है कि एक तरफ से उनकी गाढ़ी कमाई खराब गई और कोचिंग बंद होने से बच्चे की 12वीं के बोर्ड एग्जाम की तैयारियों पर भी असर पड़ा। वह कहती है कि सरकार को ऐसी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

राजस्थान सरकार की क्या है पहल?-गौरतलब है कि राजस्थान में भाजपा सरकार विधानसभा में जो बिल लेकर आई है उसमें कोचिंग सेंटर विनियमन विधेयक लाने के उद्देश्य और कारणों का जिक्र किया गया। बिल में कहा गया कि पिछले दो दशक में राजस्थान में कोचिंग सेंटर्स का अनियंत्रित प्रसार देखा गया है। यह सेंटर हर साल लाखों स्टूडेंट्स को नीट, आईआईटी–जेईई, आईआईएम प्रवेश परीक्षा और क्लेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की गारंटी का वादा करके लुभाते हुए प्राय व्यापक रूप से अनियमित वातावरण में संचालित होते हैं.। इनमें से कई संस्थानों द्वारा किए गए मिथ्या दावों और अत्यधिक दबाव वाले वातावरण के परिणाम स्वरूप जब रिजल्ट उम्मीद के अनुरूप नहीं होते, तो विद्यार्थियों में व्यापक निराशा और हताशा आ जाती है. दुखद रूप से इससे आमतौर पर तनाव का स्तर बहुत बढ़ जाता है और कई मामलों में आत्महत्याएं भी होती है।

क्या हैं कोचिंग से जुड़ा बिल?- बिल में प्रावधान किया गया है कि अब प्रदेश में सभी कोचिंग संस्थानों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन अथॉरिटी बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव करेंगे। संस्थानों की जवाबदेही तय करना, फीस नियंत्रण, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और छात्रों पर अनावश्यक दबाव को कम करना है। इसके साथ फीस पर नियंत्रण रखा जाएगा और फीस लौटाने के प्रावधान होंगे। मानसिक तनाव रोकने के लिए काउंसलिंग और हेल्पलाइन सुविधा उपलब्ध होगी। कोचिंग से जुड़े  भ्रामक विज्ञापन पर प्रतिबंध लगेगा। साथ ही नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने और कोचिंग सेंटरों की मान्यता रद्द करने का प्रावधान होगा। एक बैच में छात्रों की संख्या तय होगी और बैच शुरू होने के बाद नए नामांकन नहीं जोड़े जा सकेंगे।

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