Ground Report : इंदौर में अचानक सख्त कर्फ्यू को लोगों ने बताया तुगलकी फरमान, वेबदुनिया टीम ने जानी जमीनी हकीकत...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 21 मई 2021 (11:23 IST)
कोरोना की पहली लहर से ही अब तक प्रदेश का सबसे हॉटस्पॉट शहर इंदौर में कोरोना संक्रमण की दर अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। गुरुवार को इंदौर में समीक्षा बैठक करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिला प्रशासन को संक्रमण दर कम करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद आनन-फानन में हरकत में आए इंदौर प्रशासन ने 28 मई तक सख्त कर्फ्यू लगाने का एलान कर दिया। वहीं 29 और 30 मई को पहले से ही लॉकडाउन का आदेश होने के बाद अब इंदौर अगले 10 दिन यानी 31 मई सुबह 6 बजे तक टोटल लॉक हो गया है।

जिला प्रशासन ने केवल बिग बाजार, बिग बास्केट और ऑनडोर जैसी बड़ी एजेंसियों को किराना और ग्रॉसरी की होम डिलीवरी की सुविधा दी है जबकि सियागंज, मारोठिया, मालवा मिल जैसे थोक बाजार पूरी तरह बंद रहेंगे, वहीं मोहल्लों की दुकानें भी नहीं खुलेंगी। जिला प्रशासन के अचानक से सख्त कर्फ्यू लगाने के आदेश से पूरे शहर में अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया। रोजमर्रा उपयोग में आने वाले सामान की खरीददारी के लोग बड़ी संख्या में घरों से निकले आए तो लेकिन उनको किराना सामान से लेकर सब्जियों के लिए भटकना पड़ा। कहीं सामान मिला भी तो डेढ़ से दो गुना दामों पर।
 
अधिकांश लोग और छोटे दुकानदार जिला प्रशासन के अचानक से कर्फ्यू लगाने के तुगलकी आदेश से नाराज दिखाई दिए। लोगों ने कहा कि अचानक से कर्फ्यू लगाने के आदेश से उनके सामने खाने का संकट खड़ा हो गया है। वेबदुनिया टीम ने शहर के अलग-अलग इलाकों में आम आदमी से लेकर व्यापारियों से बात की तो उनका दर्द उनकी जुबां पर आ गया...

राऊ क्षेत्र में वेबदुनिया से बात करते हुए राहुल सिसौदिया ने कहा कि आखिर मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही प्रशासन क्यों चेता? उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने जब इससे अधिक कोरोना के केस रोज आ रहे थे तो कई बाजारों को सुबह 6 से 12 बजे तक खुलवाया था। कल तक इन बाजारों में लोगों की भीड़ उमड़ रही थी क्या उस वक्त कोरोना संक्रमण नहीं फैल रहा था। क्यों नहीं क्षेत्रवार दुकानदारों को घर पहुंच सेवा की अनुमति नहीं दी जा रही? व्यापारी और ग्राहक एक दूसरे को जानते हैं, कुछ समस्या हो तो वे आपस में निबट भी लेते हैं। 
 
राहुल ने कहा कि ऑनडोर 500 रुपए कम का सामान डिलीवर करने से मना कर दिया। साथ ही शुक्रवार को ऑर्डर सोमवार से पहले नहीं पहुंचेगा। वहां ब्रेड, सब्जी, फल, अंडे आदि कुछ भी उपलब्ध नहीं है। सिर्फ किराना सामान ही वहां ऑर्डर किया जा सकता है।

वहीं, इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने कहा कि जिला प्रशासन ने अचानक से तुगलकी फरमान ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। प्रशासन को कम से कम 24 घंटे का समय देना चाहिए जिससे की लोग घर का सामान खरीद सकें और फल और सब्जी का ठेला लगाकर अपना गुजारा करने वाले लोग सामान बेच सकें। वह कहते हैं कि इंदौर में अफसरशाही हावी है और बिना किसी से सलाह मशविरा किए अचानक से कर्फ्यू लगा दिया गया।

मुकाती कहते हैं कि शहर में चालीस दिन से कोरोना चल रहा है और जब कोरोना पीक पर था तब भी सब सामान्य था, लेकिन अब जब मामले कम रहे थे, संक्रमण दर काबू में थी तब अचानक क्या हुआ कि सख्त कर्फ्यू लगा दिया। इसके पीछे दो ही कारण हो सकते है या तो प्रशासन आंकड़े छुपा रहा है या अपनी नाकामी।
 
बड़ी एजेंसियों को किराना की होम डिलेवरी के निर्णय से असंतुष्ट पाटनीपुरा-नंदानगर क्षेत्र के थोक एवं फुटकर व्यापारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रशासन का यह निर्णय भेदभावपूर्ण हैं। हम भी लोगों को इससे पहले घर पहुंच सेवा ही दे रहे थे। क्या इस लोकतांत्रिक देश में सिर्फ बड़ी एजेंसियों को ही व्यापार करने का अधिकार है। हम भी कोरोना महामारी की गंभीरता को समझते हैं, इसी के चलते हम ग्राहकों से व्हाट्‍सऐप के जरिए ही ऑर्डर ले रहे हैं। प्रशासन के इस निर्णय से व्यापारी वर्ग पूरी तरह निराशा है। जब व्यापारी से पूछा कि यदि वे सच बयां कर रहे हैं तो नाम देने में क्या परेशानी? व्यापारी ने कहा अभी धंधा ऐसे ही नहीं चल रहा है, प्रशासन की आंख की किरकिरी बन गए तो मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। 
 
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के गौरीनगर क्षेत्र में सब्जी का ठेला लगाने वाले लखन चौरसिया ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में भोपाल से सामान समेटना पड़ा था। इस बार सोचा था कि इंदौर में सब्जी बेचकर परिवार चलाने की जुगाड़ हो जाएगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यहां से भी सामान समेट अशोकनगर के पास स्थित अपने गांव जाना पड़ेगा। चौरसिया ने कहा कि वर्तमान में जो स्थितियां हैं उसमें परिवार टूट गया है। बच्चों की शिक्षा तो छोड़िए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। 
 
नौलखा क्षेत्र स्थित प्रकाश नगर, साजन नगर, जानकी नगर आदि क्षेत्रों में सभी छोटी-बड़ी किराना दुकान बंद हैं। साजन नगर में किराना स्टोर चलाने वाले दुकानदार ने कहा कि हमें भी दुकान खोलने की अनुमति देनी चाहिए। हमारी दुकान से गरीब लोग खुला सामान लेते हैं, ऐसे में वह लोग कहां जाएंगे। हमें भी होम डिलीवरी की परमीशन दी जानी चाहिए। हमारा काम-धंधा तो पहले ही चौपट हो चुका है। 
बिचौली मर्दाना क्षेत्र के निवासी माखन चौधरी ने बताया कालिंदी ‍मिडटाउन में सब्जी वाले थोड़ी देर के लिए बैठे थे, लेकिन ताजी सब्जी और फल कहीं भी नजर नहीं आए। बिचौली से लेकर बंगाली चौराहे तक चक्कर काट लिया लेकिन किराने के सामान के लिए तरस गए। ऑनलाइन खरीदी समझ में नहीं आती, बड़ी एजेंसियों को ऑर्डर दें भी तो कैसे। ऑनलाइन खरीदी में डर भी लगता है क्योंकि पिछले लॉकडाउन में मेरा एक परिचित परिवार ठगी का शिकार हो गया था। 
 
आदिवासी क्षेत्र टांडा निवासी मुकाम सिंह ने बताया कि वह एक इंदौर में साइट पर चौकीदारी करता है। उसने कहा कि हमारी इतनी हैसियत नहीं कि एक बार 2-3 महीने का सामान भर लें। फिलहाल मजदूरी बंद है। कभी-कभार थोड़ा बहुत काम मिल जाता है। हमारे लिए रोज कमाना और रोज खाने जैसी स्थिति है। ऐसे में हम क्या करेंगे। पिछले लॉकडाउन में हमें प्रशासन से काफी मदद मिली थी, लेकिन इस बार कोई मदद नहीं मिल पा रही है।
 
कुल मिलाकर प्रशासन द्वारा ताबड़तोड़ में लिया गया यह निर्णय लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है।  इस बीच, सड़कों पर पुलिस की सख्ती भी शुरू हो गई है। लोगों को रोककर बसों में बैठाया जा रहा है। बस में जिस तरह से लोगों को भरा जा रहा है, उससे संक्रमण बढ़ने का भी खतरा है। क्योंकि एक भी व्यक्ति संक्रमित या हलके लक्षणों वाला हुआ तो दूसरे लोगों में भी संक्रमण हो सकता है।

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