इन्दौर। स्टेट प्रेस क्लब, इन्दौर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में अतिथियों ने कहा कि मीडिया के लक्ष्मण रेखा खुद मीडिया ही तैयार, दूसरा कोई और नहीं। साथ ही तीसरा प्रेस आयोग बनाने की बात भी उठी।
पूर्व में बने दो आयोग हाथी के दांत जैसे : पहले दिन मीडिया की लक्ष्मण रेखा विषय पर रोचक टॉक-शो हुआ, जिसमें चर्चाकारों ने बेबाकी के साथ अपनी बात रखी। पूर्व कुलपति एवं मीडिया शिक्षक डॉ. मानसिंह परमार ने कहा कि भारतीय संविधान हमें बोलने की आजादी (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) तो देता है साथ में अंकुश लगाने की बात भी कहता है, ताकि हम न्यायालय की अवमानना नहीं करें, किसी की मानहानि नहीं करें और ऐसा कुछ नहीं बोलें या लिखें जिससे देश की एकता और अखंडत को चोट पहुंचे। डॉ. परमार ने कहा कि देश में तीसरे प्रेस आयोग और मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि 1954 और 1978 में दो प्रेस आयोग बन चुके हैं, लेकिन इनकी स्थिति हाथी के दांत जैसी है। ये दोनों आयोग अधिकारविहीन हैं। अत: हमें तुरंत तीसरे प्रेस आयोग को बनाना होगा। क्योंकि जिस तरह से फेक न्यूज का बाजार गर्म है उस पर अंकुश लगाने के लिए तीसरे प्रेस आयोग की जरूरत है।
सरकार के प्रवक्ता बन गए न्यूज चैनल : वरिष्ठ टी.वी. पत्रकार डॉ. राजेश बादल ने कहा कि आज की पत्रकारिता ने अपनी प्रतिष्ठा और साख पर कई सवाल खड़े कर दिए। अखबार मालिकों और चैनलों के साथ पत्रकारों ने भी सिद्धांतों के साथ समझौता कर लिया है। न्यूज चैनल बंट गए हैं और वे सरकार के प्रवक्ता बन गए हैं। ऐसी स्थिति पहले कभी भी देखने को नहीं मिली। आज अधिकांश चैनल सरकार की आलोचना नहीं करते। ऐसे में सही बातें जनता के सामने नहीं आ पाती। आज तो चैनलों में ही मार-काट मची हुई है और वे एक-दूसरे के खिलाफ हो रहे हैं और सरकारें भी यही चाहती हैं कि ये आपस में लड़ते रहें, ताकि वे अपनी मनमानी करते रहे।
गोदी मीडिया से बड़ी कोई गाली नहीं : वरिष्ठ पत्रकार विनीता पांडे ने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता का जितना ध्रुवीकरण हुआ है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। धर्म और राजनीति पर भी आज का मीडिया बंट चुका है। आज जब हमारी बिरादरी को कोई गोदी मीडिया कहता है तो इससे बड़ी और कोई गाली नहीं हो सकती है। एक पत्रकार वर्षों तक मेहनत करके एक मुकाम हासिल करता है और जब उसके चैनल या नियोक्ता को कोई गोदी मीडिया कहकर धिक्कारता है तो ये हम सबके लिए शर्मनाक है।
वरिष्ठ पत्रकार धीमंत पुरोहित (अदमदाबाद) ने कहा कि आजादी के पहले 1919 में गांधीजी ने जब अपना समाचार पत्र नवजीवन निकाला था तो उसमें उन्होंने स्वयं लिखा था कि पत्रकारों को अपनी लक्ष्मण रेखा स्वयं तय करना चाहिए। हाल के वर्षों में जितनी गिरावट मीडिया में आई है उतनी पहले कभी नहीं आई।
पत्रकारिता का घराना इन्दौर : कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य ने कहा कि इन्दौर पत्रकारिता का घराना और कर्मभूमि रहा। यहां से जो पत्रकार निकले उन्होंने देश में नाम कमाया। अत: यहां जो बात होगी उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी।
इस मौके पर विभिन्न समाचार पत्र और न्यूज चैनल के सम्पादकों, रिपोटरों (मीडियाकर्मी) को पुष्पगुच्छ और प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। स्वागत उद्बोधन में सुदेश कुमार तिवारी ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन अर्पण जैन और आकाश चौकसे ने किया अंत में आभार प्रवीण कुमार खारीवाल ने माना।