मध्य प्रदेश में रविवार को हुई पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा विवादों में घिर गई है। पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में भील समाज को लेकर पूछे गए प्रश्न पर विवाद हो गया है। प्रश्न में भीलों को आपराधिक प्रवृत्ति का बताते हुए बताया गया कि धन उर्पाजन की आशा में भील गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में संलिप्त हो जाते है। राज्य सिविल सेवा में एक जाति विशेष को लेकर की गई इस टिप्पणी के बाद अब उस पर विवाद शुरु हो गया है।
विधायक हीरालाल अलावा के संगठन जयस ने इसे भील आदवासियों को अपमान बता दिया है। जयस के प्रदेश अध्यक्ष अंतिम मुझाल्दा ने वेबदुनिया से बातचीत में प्रश्न पर एतराज जताते हुए कहा कि पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा इस तरह की टिप्पणी करना भील समुदाय और आदिवासियों को बदनाम करने की एक सोची समझी साजिश है। इसके लिए संगठन जल्द ही लोकसेवा आयोग के चेयरमैन और सचिव के खिलाफ राज्यपाल और मुख्यमंत्री कमलनाथ को ज्ञापन सौंपकर उनकी बर्खास्तगी की मांग करेगा। वहीं अंति मुझाल्दा कहते हैं कि आयोग के इस प्रकार के व्यवहार से आदिवासी समाज में नाराज है और वह कार्रवाई नहीं होने पर सड़क पर भी उतरने की तैयारी में है।
वहीं पंधाना के भाजपा विधायक राम दांगोरे जिन्होंने खुद सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा दी है उन्होंने भी प्रश्न पर ऐतराज जताते हुए कहा कि भील समाज की देश की आजादी में बहुत अहम भूमिका रही है। भाजपा विधायक ने भीलों को आपराधिक प्रवृत्ति का बताने को उनका अपमान बताते हुए इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से करने की बात कही है।
वहीं सोशल एक्टिविस्ट और व्यापमं मामले में व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय ने भील आदिवासी पर की गई कथित टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए आयोगी की सचिव रेणु पंत और आयोग के अध्यक्ष के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर उनको बर्खास्त करने की मांग की है।
वहीं इस पूरे मामले पर विवाद बढ़ने पर लोक सेवा आयोग की सचिव रेण पंत ने पूरे प्रकरण की जानकारी होने से ही इंकार कर दिया है। रविवार को पूरे प्रदेश में आयोजित एमपीएससी की प्री परीक्षा देने वाले प्रतिभागियों ने दोनों प्रश्न पत्रों के और कई प्रश्नों पर सवाल उठाते हुए उनके दिए उत्तरों को गलत ठहराया है।