बागली (देवास)। कोरोनावायरस (Coronavirus) काल में मतदान करवाना चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है। प्रचार के दौरान दोनों ही पार्टियां कोरोना प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर मतदाताओं के मध्य अपनी पैठ कायम करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। वहीं मतदान अधिकारी भी चुनाव ड्यूटी लगने के बाद चिंतित हैं।
इस बीच, आयोग ने उपचुनाव में बोगस मतदान को रोकने के लिए एक मोबाइल एप लांच की है, जिसे डाउनलोड करना मतदान अधिकारियों ने लिए अनिर्वाय है। एप के माध्यम से प्रत्येक मत की जानकारी आयोग तक पहुंचेगी साथ ही बोगस मतदान को भी रोका जा सकेगा।
बताया जा रहा है कि आयोग इस बार मतदान पर्चियों पर क्यूआर कोड प्रकाशित करने जा रहा है, जिससे मतदान अधिकारी पर्चियों को ट्रैक को ट्रेक कर सकेंगे। देवास जिले में हाटपीपल्या विधानसभा उपचुनाव में इसी प्रकार की क्यूआर कोड युक्त पर्चियां मतदाताओं तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे मोबाइल से स्कैन करने बाद मतदान अधिकारी के सामने मतदाता की समस्त जानकारी होगी।
इंदौर-उज्जैन संभाग की 7 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। देवास जिले की हाटपीपल्या में उपचुनाव के तहत 3 नवंबर को मतदान होना है, जिसके लिए प्रथम चरण का प्रशिक्षण हो चुका है। हाटपीपल्या विधानसभा सीट के लिए हुए प्रथम चक्र के प्रशिक्षण में मतदान अधिकारियों को यह जानकारी दी गई थी कि हाटपीपल्या सीट पर मतदाताओं को क्यूआर कोड युक्त पर्चियों का वितरण होगा, जिसके लिए मतदान अधिकारियों को सामग्री लेने के बाद बूथ एप डाउनलोड करनी होगी।
हाटपीपल्या विधानसभा के लिए देवास में 19 अक्टूबर से मतदान दलों का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। हालांकि पहले यह प्रयोग पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में केवल हाटपीपल्या विधानसभा में ही होना था, लेकिन अब कहा जा रहा है कि मालवा-निमाड की सभी 7 सीटों पर क्यूआर कोड युक्त पर्चियों का प्रयोग होगा। इससे चुनाव आयोग तक एक-एक मत की जानकारी पहुंचेगी। साथ ही महिला-पुरुषों की संख्या और मतदान के प्रतिषत की जानकारी भी सरलता से मिल सकेगी।
हालांकि निर्वाचन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अभी चुनाव आयोग से एप के बारे में और जानकारी आनी है। पीठासीन अधिकारी व एक अन्य अधिकारी के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ही एप चलेगी। अधिकारियों के मुताबिक नेटवर्क नहीं होने पर भी एप काम करती रहेगी। हर मतदाता और एक-एक वोट की जानकारी रियल टाइम में निर्वाचन आयोग तक पहुंचेगी।
इतना ही नहीं मॉक पोल के पहले बूथ पर तैनात सभी अधिकारियों को एक सेल्फी लेकर भी एप पर डालनी होगी। दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने एक मोबाइल एप जारी की थी। उस वक्त सिर्फ एप में मतदान प्रतिशत की जानकारी दर्ज करनी थी। इस बार एप में एक-एक वोट की जानकारी भेजी जा रही है। उपचुनाव के बहाने इस मोबाइल एप का पायलेट परीक्षण हो सकेगा।